लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार ने युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने के लिए अपनी मुहिम को और तेज कर दिया है। उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन ने राज्य के सभी मंडलों को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि वे 10 दिसंबर तक अनिवार्य रूप से कौशल प्रतियोगिताओं का आयोजन करें। इस पहल का मुख्य उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा युवाओं को हुनरमंद बनाना और उन्हें स्थानीय स्तर पर ही रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराना है। सरकार की मंशा है कि युवाओं के हाथों में कौशल हो ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
सोमवार को मिशन निदेशक पुलकित खरे ने जिला समन्वयकों और एमआईएस प्रबंधकों के साथ एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की। इस बैठक में उन्होंने अधिकारियों के पेंच कसते हुए स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी। पुलकित खरे ने कहा कि प्रशिक्षण की गुणवत्ता के साथ किसी भी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर जांच में पाया गया कि किसी प्रशिक्षण संस्था ने गुणवत्ता में कोई गड़बड़ी की है या लापरवाही बरती है, तो उस संस्था को तत्काल प्रभाव से ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।
बैठक में युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना भी साझा की गई। इसके तहत पिछले तीन वर्षों में जिन युवाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है, लेकिन अभी तक बेरोजगार हैं, उनका एक विस्तृत डाटाबेस तैयार किया जाएगा। सरकार की योजना है कि ऐसे प्रशिक्षित युवाओं को हर महीने की 21 तारीख को आईटीआई में आयोजित होने वाले रोजगार मेलों में प्राथमिकता के आधार पर अवसर दिया जाए ताकि उन्हें जल्द से जल्द नौकरी मिल सके।
आगामी मंडल स्तरीय प्रतियोगिताओं की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। बताया गया कि प्रतियोगिताओं के लिए मिशन कार्यालय की तरफ से सेट-ए और सेट-बी के पासवर्ड-कोडेड प्रश्नपत्र भेजे जाएंगे। परीक्षा संपन्न होने के बाद हर कौशल क्षेत्र से योग्यता के आधार पर अवरोही क्रम में शीर्ष पांच अभ्यर्थियों का चयन किया जाएगा और उनके नाम मिशन कार्यालय को भेजे जाएंगे। इन चुने हुए अभ्यर्थियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी ताकि उन्हें प्रदेश स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने और आगे बढ़ने का पूरा मौका मिल सके।
मिशन निदेशक ने मुख्यमंत्री कार्यालय की प्राथमिकता वाली ‘जीरो पावर्टी अभियान’ का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि इस अभियान की नियमित समीक्षा की जा रही है। इसके तहत चिह्नित गरीब परिवारों और स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को विशेष रूप से कौशल प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है।
इसके अलावा, बैठक में वाधवानी समूह के साथ हुए समझौते (एमओयू) पर भी चर्चा हुई। इसके तहत प्रशिक्षकों को सॉफ्ट स्किल की ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वे छात्रों को और बेहतर ढंग से तैयार कर सकें। अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे संबंधित प्रशिक्षकों का पंजीकरण समय से पूरा करें और जिला समन्वयक अपनी प्रगति रिपोर्ट निर्धारित फॉर्मेट में समय पर जमा करें। सरकार के ये कदम बताते हैं कि प्रदेश में स्किल डेवलपमेंट को लेकर प्रशासन पूरी तरह गंभीर है।