धर्मशाला. हिमाचल प्रदेश में पिछले लंबे समय से नए जिलों के गठन को लेकर चल रही अटकलों और चर्चाओं पर राज्य सरकार ने पूर्ण विराम लगा दिया है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रश्नकाल में यह मुद्दा जोर-शोर से गूंजा, जिसके जवाब में मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने स्थिति पूरी तरह स्पष्ट कर दी। सरकार ने साफ शब्दों में कह दिया है कि प्रदेश में फिलहाल नए जिले बनाने का कोई भी विचार नहीं है और न ही ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन है।
सोमवार को तपोवन स्थित विधानसभा परिसर में विधायक जनक राज ने इस संवेदनशील मुद्दे को उठाया था। उन्होंने अपने सवाल में सरकार से जानना चाहा था कि क्या प्रदेश में चार और नए जिलों का गठन करने की कोई तैयारी चल रही है? इसके साथ ही उन्होंने यह भी पूछा था कि अगर एक नया जिला बनाया जाता है, तो उस पर सरकारी खजाने से अनुमानित कितना बजट खर्च होगा। इस पर मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने सामान्य प्रशासन विभाग से मिली जानकारी के आधार पर सदन को सूचित किया कि नए जिलों के गठन को लेकर सरकार कोई काम नहीं कर रही है।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में नए जिलों की मांग कोई नई नहीं है, बल्कि पिछले दो दशकों से यह मुद्दा राजनीतिक गलियारों में तैर रहा है। सबसे पहले यह मांग पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में उठी थी, जब शिमला जिले से अलग करके रामपुर को नया जिला बनाने की बात शुरू हुई थी। इसके बाद कांगड़ा जिले के विभाजन की मांग ने जोर पकड़ा। कांगड़ा भौगोलिक और जनसंख्या के लिहाज से बहुत बड़ा जिला है, इसलिए वहां पालमपुर, नूरपुर और देहरा को अलग जिला बनाने की मांग उठती रही है। इसी तरह मंडी जिले से सुंदरनगर को अलग जिला बनाने के लिए भी आवाजें उठती रही हैं।
हालांकि, सरकारों ने बीच का रास्ता निकालते हुए प्रशासनिक सुविधा के लिए कुछ कदम जरूर उठाए हैं। कांगड़ा जिले के बड़े आकार को देखते हुए नूरपुर और देहरा को पुलिस जिला बनाया गया है, वहीं औद्योगिक क्षेत्र बद्दी को भी पुलिस जिला का दर्जा प्राप्त है। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के दूसरे कार्यकाल में भी नए जिलों की सुगबुगाहट तेज हुई थी और प्रशासनिक स्तर पर कुछ काम शुरू भी हुआ था, लेकिन राज्य की छोटी भौगोलिक स्थिति और आर्थिक बोझ को देखते हुए यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
दिलचस्प बात यह है कि भले ही प्रशासनिक तौर पर नए जिले न बने हों, लेकिन राजनीतिक दलों ने अपने संगठन को चलाने के लिए नए जिले बना रखे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश में 17 संगठनात्मक जिले बनाए हैं। इनमें कांगड़ा के अलावा तीन अन्य जिले, मंडी में सुंदरनगर और शिमला में महासू को अलग जिला माना गया है। वहीं कांग्रेस ने भी शिमला शहरी के लिए अलग कार्यकारिणी बनाई है। हालांकि, वीरभद्र सिंह की सरकार नए जिलों के गठन के पक्ष में नहीं थी, लेकिन उन्होंने कांगड़ा के महत्व को समझते हुए उसे दूसरी राजधानी का दर्जा जरूर दिया था। फिलहाल मुख्यमंत्री के जवाब के बाद यह तय हो गया है कि हिमाचल के नक्शे में अभी कोई बदलाव नहीं होने वाला है।
Pls read:Himachal: हिमाचल में खजाना खाली होने से विधायकों और कर्मचारियों को जनवरी तक करना होगा इंतजार