धर्मशाला. हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य की खराब आर्थिक स्थिति की कड़वी सच्चाई सामने आई है। मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने सदन में साफ शब्दों में स्वीकार किया कि प्रदेश की वित्तीय हालत इस समय संतोषजनक नहीं है। सरकार के खजाने की तंगी का सीधा असर अब जनप्रतिनिधियों और सरकारी कर्मचारियों पर पड़ने वाला है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि विधायकों को मिलने वाली विधायक क्षेत्रीय विकास निधि और उनकी ऐच्छिक निधि के लिए अभी इंतजार करना होगा। इतना ही नहीं, सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को भी अपनी वित्तीय देनदारियों का लाभ पाने के लिए जनवरी महीने तक का धैर्य रखना होगा।
सदन में स्थिति स्पष्ट करते हुए सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने बताया कि राज्य सरकार इस संकट से उबरने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह जनवरी माह में दिल्ली जाएंगे और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात करेंगे। इस बैठक में वह हिमाचल प्रदेश के लिए ऋण सीमा को दो प्रतिशत और बढ़ाने की मांग प्रमुखता से उठाएंगे। इसके अलावा, केंद्र सरकार द्वारा बंद की गई 1600 करोड़ रुपये की वार्षिक ऋण सीमा को फिर से बहाल करने और राजस्व घाटा अनुदान में हो रही लगातार कटौती के मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी। मुख्यमंत्री को उम्मीद है कि केंद्र से बातचीत के बाद राज्य को कुछ राहत मिल सकती है।
आर्थिक तंगी के इस दौर में भी सरकार ने बुजुर्गों को राहत देने का प्रयास किया है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि 70 वर्ष से अधिक आयु के पेंशनरों को एरियर का भुगतान करने के लिए 90 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी गई है। आंकड़ों पर नजर डालें तो सरकार को अभी कर्मचारियों और पेंशनरों का कुल 8555 करोड़ रुपये एरियर चुकाना है, जिसमें से 2155 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने बताया कि 70 साल से ऊपर के बुजुर्गों का 70 प्रतिशत एरियर दिया जा चुका है और बाकी बचा 30 प्रतिशत इसी वित्त वर्ष में दे दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने सदन में पिछली सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकार जाते-जाते कर्मचारियों के वेतन और पेंशन एरियर के रूप में 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बोझ छोड़ गई थी, जिसे वर्तमान सरकार चुकाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कर्मचारियों और पेंशनरों से अपील की है कि वे प्रदेश की नाजुक आर्थिक स्थिति को समझते हुए सरकार का सहयोग करें। जैसे-जैसे राज्य के राजस्व में सुधार होगा, वैसे-वैसे प्राथमिकता के आधार पर सभी देनदारियों का भुगतान कर दिया जाएगा।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए भी सरकार ने कदम उठाए हैं। उन्हें पेंशन का लाभ देने के लिए पांच साल की दैनिक सेवा के बदले एक साल की ‘क्वालीफाइंग सर्विस’ का लाभ दिया गया है। इसके अलावा 1 जनवरी 2016 से 31 दिसंबर 2021 के बीच सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को ग्रेच्युटी एरियर का 20 प्रतिशत हिस्सा दे दिया गया है।
भविष्य की योजनाओं पर बात करते हुए सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा कि 16वें वित्त आयोग से राज्य को बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं। इसका कारण यह है कि हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है, जिसे आधार बनाकर केंद्र से कम सहायता मिल सकती है। फिर भी, राज्य सरकार पूरी मजबूती के साथ अपना पक्ष रखेगी ताकि प्रदेश के विकास के लिए अधिक से अधिक वित्तीय मदद हासिल की जा सके। 16वें वित्त आयोग की सिफारिशें वित्त वर्ष 2025-26 से लागू होंगी, जिसके बाद अगले पांच वर्षों तक चरणबद्ध तरीके से सभी बकाया भुगतान किए जाने की योजना है।
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