देहरादून
देहरादून स्थित ग्राफिक एरा डीम्ड विश्वविद्यालय में चल रहे तीन दिवसीय आपदा प्रबंधन विश्व शिखर सम्मेलन 2025 और 20वें उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं तकनीकी सम्मेलन का रविवार को समापन हो गया। समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने पर्यावरण को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पर्यावरण जिस तेजी से दूषित हो रहा है वह अब चेतावनी की सीमा को पार कर चुका है। राज्यपाल ने वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को नसीहत दी कि हमें पृथ्वी और प्रकृति की चेतावनी को अनसुना नहीं करना चाहिए। उन्होंने कोविड-19 महामारी का उदाहरण देते हुए कहा कि उस दौर ने हमें चेताया था कि विकास के लिए हमें अपनी नीतियों में बदलाव करना होगा।
अपने संबोधन में राज्यपाल ने हिमालयी क्षेत्रों में हो रहे निर्माण कार्यों पर भी महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने सुझाव दिया कि पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील इन इलाकों में भारी इंजीनियरिंग और कंक्रीट के जंगलों की जगह परंपरागत और पर्यावरण के अनुकूल निर्माण शैलियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हिमालय के निवासियों को अपने पर्यावरण को बचाने के लिए अधिक जिम्मेदारी उठानी होगी। राज्यपाल ने आपदा प्रबंधन के लिए ‘5-ई’ का सिद्धांत दिया जिसमें इंगेज, एजुकेट, इनेबल, एंपावर और एक्सल शामिल हैं। उन्होंने उपस्थित वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को पर्यावरण बचाव का ब्रांड एंबेसडर बताया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’ के विजन को अपनाने का आह्वान किया।
समारोह में हैस्को के संस्थापक पद्मश्री अनिल प्रकाश जोशी ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि आपदाएं प्रकृति की प्रतिक्रिया होती हैं और आज की दुनिया में कोई भी इससे सुरक्षित नहीं है। जोशी ने कहा कि जब आपदाएं सर्वव्यापी हैं तो उनके समाधान भी सार्वभौमिक होने चाहिए। हमें एक ऐसा सामूहिक रोडमैप बनाना होगा जिसमें हर स्तर पर आम आदमी का योगदान हो। वहीं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य राजेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि भारत दुनिया के शीर्ष 10 आपदा संवेदनशील देशों में शामिल है। उन्होंने ‘टीच एंड ट्रेन योर सोसाइटी’ यानी अपने समाज को सिखाओ और प्रशिक्षित करो के सिद्धांत पर काम करने की जरूरत बताई। उन्होंने लोगों से ‘सचेत ऐप’ डाउनलोड करने की अपील की जो आपदा के दौरान पूर्व चेतावनी देकर जान बचाने में मददगार साबित हो रहा है।
इस मौके पर यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान हुए मंथन का निचोड़ पेश किया। उन्होंने जानकारी दी कि मुख्यमंत्री ने 28 नवंबर को ‘सिल्क्यारा विजय दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की है। साथ ही सम्मेलन का ‘देहरादून डिक्लेरेशन’ भी पढ़ा गया। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने विज्ञान सम्मेलन के विजेताओं को युवा वैज्ञानिक सम्मान से नवाजा। इसके अलावा राज्य के 95 ब्लॉकों से प्रीमियर लीग में चुनकर आए विजेताओं को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर ‘वाटर रिसोर्सेज ऑफ हिमालय रीजन’ नामक पुस्तक का विमोचन भी किया गया। ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रोफेसर कमल घनशाला ने सभी अतिथियों का धन्यवाद करते हुए सामुदायिक सहयोग पर जोर दिया।