गगरेट/ऊना, हिमाचल प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से सरगर्मियां तेज हो गई हैं। बुधवार को धर्मशाला के तपोवन में हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ। सत्र के पहले दिन उम्मीद थी कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के तमाम दिग्गज नेता सदन में मौजूद रहेंगे, लेकिन सदन की कार्यवाही शुरू होते ही एक बड़े चेहरे की गैरमौजूदगी ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री सत्र के पहले दिन विधानसभा पहुंचने के बजाय अचानक दिल्ली के लिए रवाना हो गए। उनके इस आकस्मिक दिल्ली दौरे ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू कर दिया है।
पारिवारिक कार्यक्रम या सियासी संकेत
मुकेश अग्निहोत्री के दिल्ली जाने के पीछे जो आधिकारिक वजह बताई जा रही है वह पूरी तरह से पारिवारिक है। हाल ही में उपमुख्यमंत्री की बेटी का विवाह संपन्न हुआ है। बताया जा रहा है कि 28 नवंबर को नई दिल्ली में दूल्हा पक्ष की ओर से एक रिसेप्शन समारोह का आयोजन किया गया है। इसी समारोह में शामिल होने के लिए मुकेश अग्निहोत्री दिल्ली गए हैं। खुद उपमुख्यमंत्री ने भी अपने इस दौरे को निजी और पारिवारिक बताया है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक और विपक्षी दल इस घटनाक्रम को केवल एक शादी समारोह से जोड़कर नहीं देख रहे हैं। सत्र के पहले ही दिन सदन से नदारद रहना और दिल्ली कूच कर जाना कई तरह के सियासी कयासों को जन्म दे रहा है।
बयानों ने बढ़ाई राजनीतिक तपिश
दरअसल मुकेश अग्निहोत्री के दिल्ली दौरे को लेकर इतनी चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि हाल ही में उनके द्वारा दिए गए कुछ बयानों ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी थी। उनका एक बयान सोशल मीडिया और राजनीतिक मंचों पर काफी वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि अब मैं फ्री हूं और आने वाले दिनों में सड़कों पर नजर आऊंगा। इस बयान के कई सियासी मायने निकाले गए थे। लोगों का मानना है कि यह बयान सरकार या संगठन के भीतर चल रही किसी खींचतान की ओर इशारा कर रहा था।
इसके अलावा उनका एक और बयान चर्चा का विषय बना रहा जिसमें उन्होंने दबाव की राजनीति पर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि वह किसी की कृपा या दबाव से इस पद पर नहीं पहुंचे हैं बल्कि अपनी मेहनत और हरोली की जनता के आशीर्वाद से उन्हें यह मुकाम हासिल हुआ है। इन बयानों के बाद उनका विधानसभा सत्र छोड़कर दिल्ली जाना परिस्थितियों को और अधिक दिलचस्प बना रहा है।
तीस नवंबर को होगी वापसी
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि भले ही दिल्ली से धर्मशाला की दूरी ज्यादा नहीं है और आना-जाना आसान है लेकिन सत्र के महत्वपूर्ण दिनों में उपमुख्यमंत्री की अनुपस्थिति सामान्य नहीं है। जानकारी के अनुसार मुकेश अग्निहोत्री 30 नवंबर को वापस लौटने वाले हैं। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या दिल्ली से लौटने के बाद वह शीतकालीन सत्र की बची हुई कार्यवाही में हिस्सा लेंगे या नहीं। फिलहाल इस पर स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। पारिवारिक वजहों के पीछे छिपी सियासत ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के माहौल को और गरमा दिया है। अब देखना होगा कि उपमुख्यमंत्री की वापसी के बाद प्रदेश की राजनीति किस करवट बैठती है।
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