शिमला। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद विधायक विनय कुमार को सौंपे जाने के बाद अब पार्टी की नई राज्य कार्यकारिणी के गठन को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि नई कार्यकारिणी में किन चेहरों को जगह मिलेगी। संगठन के भीतर नेताओं ने अपने करीबी चेहरों को कार्यकारिणी में शामिल कराने के लिए अंदरूनी तौर पर रणनीति बनाना शुरू कर दिया है।
खासतौर पर प्रदेश महासचिव का पद सबसे अधिक चर्चा में है। इस महत्वपूर्ण पद के लिए फिलहाल चार-पांच नाम दौड़ में बताए जा रहे हैं, जिनमें से दो नेता वर्तमान में सरकार में भी दायित्व संभाले हुए हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या हाईकमान ‘एक व्यक्ति-एक पद’ के सिद्धांत को सख्ती से लागू करेगा, या फिर कुछ विशेष परिस्थितियों में अपवाद रखे जाएंगे।
पार्टी हाईकमान पहले ही स्पष्ट संकेत दे चुका है कि प्रदेश कार्यकारिणी में पदाधिकारियों की एक लंबी फौज नहीं होगी। इसके बजाय, वरिष्ठ नेताओं के अनुभव और मार्गदर्शन के साथ-साथ संगठन में युवा चेहरों को भी पूर्ण प्रतिनिधित्व दिया जाएगा, ताकि पार्टी में ऊर्जा और नई सोच का संचार हो सके।
बताया जा रहा है कि नई कार्यकारिणी पर नवंबर के अंत तक मुहर लग सकती है। इस सिलसिले में प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल जल्द ही नए प्रदेश अध्यक्ष विनय कुमार के साथ एक बैठक करेंगी, जिसमें अंतिम नामों पर चर्चा और फैसला लिया जाएगा।
जिला कमेटियों के गठन के लिए हाईकमान पहले ही पर्यवेक्षक तैनात कर चुका है। ऐसे में प्रदेश कार्यकारिणी को अंतिम रूप देते समय नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष विनय कुमार की भूमिका कितनी होगी, इसे लेकर फिलहाल संशय की स्थिति बनी हुई है।
कांग्रेस हाईकमान ने विनय कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर संगठन में सियासी और जातीय संतुलन साधने की कोशिश की है। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने भी उनके नाम पर अपनी सहमति जताई थी, जो उनकी नियुक्ति को सर्वसम्मत बनाती है।
सूत्रों के अनुसार, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के समक्ष विनय कुमार के पक्ष में सिफारिश की थी। इसके अलावा, प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल की रिपोर्ट में भी उन्हें इस पद का एक मजबूत दावेदार बताया गया था, जिससे उनकी नियुक्ति की राह आसान हुई।
विनय कुमार सोमवार को शिमला पहुंचेंगे। वह पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह से शिष्टाचार भेंट कर सकते हैं। इसके बाद उनका दिल्ली दौरा प्रस्तावित है, जहां वे पार्टी के केंद्रीय नेताओं से मिलेंगे। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है कि वह औपचारिक रूप से कब कार्यभार संभालेंगे। उनकी नियुक्ति और नई कार्यकारिणी का गठन आगामी चुनावों के मद्देनजर पार्टी को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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