पेशावर। पाकिस्तान के पेशावर शहर में सोमवार को संघीय पुलिस दल (कॉन्स्टेबुलरी) के मुख्यालय पर एक भीषण आत्मघाती हमला हुआ। रिपोर्ट्स के अनुसार, मुख्यालय के आसपास कई धमाकों की आवाजें सुनी गईं, जिसके बाद पूरे इलाके को तुरंत खाली करा लिया गया। पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों ने पुष्टि की है कि इस हमले में शामिल सभी आत्मघाती हमलावरों को मार गिराया गया है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में पुलिस दल के तीन बहादुर जवान शहीद हो गए हैं, जबकि दो अन्य घायल हुए हैं।
पाकिस्तान की प्रतिष्ठित समाचार वेबसाइट द डॉन के मुताबिक, यह हमला सुबह करीब 8 बजे सद्दार-कोहत सड़क पर स्थित मुख्यालय के पास हुआ। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को मुख्यालय के प्रवेश द्वार पर ही उड़ा लिया, जिससे जोरदार धमाका हुआ। इस धमाके के बाद कुछ देर तक फायरिंग की आवाजें भी सुनाई दीं। इसी दौरान, एक और हमलावर ने मुख्यालय के भीतर घुसने का प्रयास किया, लेकिन सुरक्षाबलों की त्वरित कार्रवाई से उसे वहीं मार गिराया गया। घटना के तुरंत बाद सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर लिया और व्यापक राहत तथा बचाव अभियान शुरू किया।
हमले के बाद पेशावर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, लेडी रीडिंग अस्पताल में तत्काल आपातकाल घोषित कर दिया गया। अस्पताल के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि हमले में घायल हुए छह लोगों को अस्पताल लाया गया है, जिनकी हालत फिलहाल स्थिर बताई जा रही है।
जिस संघीय पुलिस दल पर यह हमला हुआ है, वह एक नागरिक अर्धसैनिक बल है। इसे पहले फ्रंटियर कॉन्स्टेबुलरी के नाम से जाना जाता था, जिसे इसी साल जुलाई में शहबाज शरीफ की सरकार ने बदलकर फेडरल कॉन्स्टेबुलरी कर दिया था। पेशावर में इस बल का मुख्यालय एक बेहद भीड़भाड़ वाले इलाके में स्थित है। इसके साथ ही, सैन्य छावनी भी इस स्थान के काफी नजदीक है, जिससे हमले की गंभीरता और बढ़ जाती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान में बीते कुछ वर्षों से आतंकवादी हमलों में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है। विशेष रूप से खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांत इन हमलों से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इन हमलों में बढ़ोतरी का मुख्य कारण आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के साथ पाकिस्तान सरकार का शांति समझौता टूटना रहा है। टीटीपी ने इस हमले की जिम्मेदारी तुरंत नहीं ली है, लेकिन ऐसे हमलों के पीछे अक्सर ऐसे चरमपंथी संगठनों का हाथ होता है। इस घटना ने एक बार फिर पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों को उजागर किया है।
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