शिमला। हिमाचल प्रदेश में आगामी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में राज्य सरकार को कई मुश्किल सवालों का सामना करना पड़ेगा। बेरोजगारी की बढ़ती समस्या और आउटसोर्स कर्मचारियों की स्थिति पर सरकार को विपक्ष और सेवा से जुड़े कर्मियों दोनों को संतुष्ट करना होगा। धर्मशाला के तपोवन विधानसभा परिसर में 26 नवंबर से यह महत्वपूर्ण सत्र शुरू होगा।
विधानसभा सचिवालय को अब तक 19 ऐसे नोटिस मिल चुके हैं, जिनमें बेरोजगारी की मौजूदा स्थिति, आउटसोर्स कर्मियों की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं और सरकारी अस्पतालों में शुरू की गई रोबोटिक सर्जरी से लाभान्वित हुए मरीजों की संख्या जैसे मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगा गया है। इसके अलावा, प्रदेश में हालिया आपदा से हुए भारी नुकसान, राहत कार्यों की धीमी गति और पंचायत चुनावों के मुद्दे पर भी विपक्षी भाजपा सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है।
सत्र के लिए 633 प्रश्न प्राप्त, सर्वदलीय बैठक 25 नवंबर को
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के लिए प्रश्न जमा करने का बुधवार को अंतिम दिन था, और सचिवालय को कुल 633 प्रश्न प्राप्त हुए हैं। सत्र शुरू होने से एक दिन पहले, यानी 25 नवंबर को तपोवन में एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें सत्र को सुचारू रूप से चलाने पर चर्चा होगी। यह सत्र 26 नवंबर से शुरू होकर 5 दिसंबर तक चलेगा।
कांग्रेस भी तैयार, रणनीति बनाएगी
विपक्षी हमलों का सामना करने के लिए कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी 25 नवंबर को धर्मशाला स्थित परिधि गृह में होगी, जहाँ सत्र के लिए रणनीति बनाई जाएगी। सत्र के दौरान होने वाली आठ बैठकों में दोनों पक्षों की ओर से भारी हंगामा होने की संभावना है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के तीखे तेवरों को देखते हुए, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि कांग्रेस विधायक भी भाजपा को पलटकर जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यह सत्र सरकार के लिए एक अग्निपरीक्षा साबित हो सकता है, जहाँ उसे अपनी नीतियों और निर्णयों का बचाव करना होगा।
Pls read:Himachal: हिमाचल में पंचायत चुनाव पर गहराया संकट, सरकार और चुनाव आयोग आमने-सामने