Bangladesh: बांग्लादेश पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा

नई दिल्ली। बांग्लादेश की अदालत ने आज पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर अपना फैसला सुना दिया है, जिसमें उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है। शेख हसीना के खिलाफ पांच गंभीर आरोप लगे थे, जिन पर सुनवाई 23 अक्टूबर को समाप्त हो गई थी। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) में न्यायाधीशों ने उन्हें दोषी ठहराते हुए कहा कि शेख हसीना ज्यादा से ज्यादा सजा की हकदार हैं।

जानकारी के अनुसार, शेख हसीना के खिलाफ हत्या और साजिश के गंभीर आरोप लगे थे, जिसके तहत फांसी की मांग की जा रही थी। 23 अक्टूबर को सुनवाई खत्म होने के बाद न्यायाधीशों ने फैसला सुरक्षित रखा था। यह फैसला 400 पृष्ठों का है, जिसे छह भागों में बांटा गया है।

मामले पर फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किया है। अदालत ने विशेष रूप से 5 अगस्त के दिन चंखारपुल में छह प्रदर्शनकारियों की हत्या का जिक्र किया। न्यायाधीशों ने कहा कि शेख हसीना के आदेश पर तत्कालीन गृह मंत्री और पुलिस महानिरीक्षक ने कार्रवाई की, जिसमें कई छात्रों की मौत हो गई थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह सब शेख हसीना के आदेश पर हुआ था।

तीन न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले पर फैसला सुनाया है। जस्टिस मोहम्मद गोलाम मजूमदार की अध्यक्षता में इस पीठ ने अपना निर्णय दिया। अदालत में चल रहे इस मामले में शेख हसीना के अलावा बांग्लादेश के पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल का नाम भी शामिल था।

अदालत ने यह भी बताया कि फैसला सुनाने से पहले इसे पढ़कर रिकॉर्ड में रखा जा रहा था, यही वजह है कि फैसला आने में थोड़ी देरी हो सकती है। कोर्ट का कहना है कि कई रिपोर्टों में दावा किया गया था कि शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों पर हमले का आदेश दिया था, जिसके कारण कई लोगों की मौत हो गई। अदालत को पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ कई साक्ष्य भी मिले हैं, जिन्होंने उन्हें दोषी ठहराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बांग्लादेश में कई विपक्षी दल शेख हसीना के लिए फांसी की मांग कर रहे थे। हालांकि, शेख हसीना ने इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि उन पर लगे आरोप पूरी तरह से गलत हैं और उन्हें किसी भी फैसले से कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने दृढ़ता से कहा था, “मुझे फर्क नहीं पड़ता। यह जिंदगी अल्लाह ने दी है और वही वापस ले लेंगे। आवामी लीग जमीन से उठी है। यह आसान नहीं होता है। मुझे बांग्लादेश के लोगों पर पूरा विश्वास है। वे इस भ्रष्टाचारी, उग्रवादी और हत्यारे यूनुस समेत उसके सहयोगियों को उखाड़ फेंकेंगे। लोग न्याय जरूर करेंगे।”

शेख हसीना ने अपने समर्थकों को संदेश देते हुए कहा था, “मैं जिंदा हूं, जिंदा रहूंगी और लोगों की भलाई के लिए काम करती रहूंगी। मैं बांग्लादेश के लोगों के लिए न्याय करूंगी। जो लोग मुझ पर मानवाधिकार के उल्लंघनों का आरोप लगा रहे हैं, उन्हें बता दूं कि मैंने 10 लाख रोहिंग्या शरणार्थियों को बांग्लादेश में शरण दी थी।” अब इस फैसले के बाद बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में बड़े बदलाव आने की संभावना है।

 

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