मुजफ्फरपुर। उत्तर बिहार की कुल 71 विधानसभा सीटों में कांग्रेस के पास वर्तमान में सिर्फ एक विधायक हैं, मुजफ्फरपुर विधानसभा क्षेत्र से विजेंद्र चौधरी। पार्टी ने उन्हें आगामी चुनाव में दोबारा मैदान में उतारा है। इसके अलावा, सकरा से उमेश कुमार राम कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इन दोनों सीटों पर मौजूदा स्थिति को देखते हुए उनकी जीत आसान नहीं लग रही है।
उत्तर बिहार में कुल 18 कांग्रेस प्रत्याशी मैदान में हैं, जबकि पिछले चुनाव में 20 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। मुजफ्फरपुर जिले के सभी 11 विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो, वर्ष 1977 से पहले यह कांग्रेस का एक अभेद्य दुर्ग माना जाता था। हालांकि, अब विजेंद्र चौधरी के नाम पर ही कांग्रेस का कुछ अवशेष बचा हुआ है।
यह दिलचस्प है कि जिस विजेंद्र चौधरी ने 1995 के चुनाव में कांग्रेस विधायक रघुनाथ पांडेय को हराकर जिले से कांग्रेस का पूरी तरह सफाया कर दिया था, उन्होंने ही 25 साल बाद पिछले चुनाव में कांग्रेस का दामन थामकर जीत हासिल की थी और जिले में कांग्रेस को फिर से स्थापित किया।
जिले में 90 के बाद हारती रही कांग्रेस
पिछले ढाई दशक से जिले के 11 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की छाप हाशिए पर रही है। जिस कांग्रेस से 1972 तक सभी पार्टियां हार मानती थीं, वह धीरे-धीरे इतनी बीमार हो चली कि जिले में अब कोई उससे हाथ मिलाने तक को तैयार नहीं।
2010 के चुनाव में कांग्रेस ने जिले के सभी 11 विधानसभा क्षेत्रों से अपना उम्मीदवार खड़ा किया था, लेकिन एक भी उम्मीदवार जीत तो दूर, दूसरे स्थान पर भी नहीं रह पाया। यही कारण रहा कि वर्ष 2015 के चुनाव में कांग्रेस जिले में अपने बूते चुनाव लड़ने का साहस नहीं कर पाई।
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उस चुनाव में पार्टी ने जिले से एक भी उम्मीदवार नहीं उतारा था। हालांकि, पिछले चुनाव में पार्टी ने जिले के तीन विधानसभा क्षेत्रों – मुजफ्फरपुर से विजेंद्र चौधरी, पारू से अनुनय प्रसाद सिन्हा और सकरा से उमेश कुमार राम को मैदान में उतारा था। इन तीनों में से केवल विजेंद्र चौधरी ही भाजपा के सुरेश कुमार को पराजित कर जिले में ढाई दशक बाद कांग्रेस को फिर से स्थापित करने में सफल रहे।
अन्य सीटों पर भी कांग्रेस प्रत्याशियों की राह आसान नहीं है, जिनमें बेनीपट्टी से नलिनी रंजन झा रूपम, फुलपरास से सुबोध मंडल, रीगा से अमित कुमार टुन्ना, बथनाहा (सुरक्षित) से इं. नवीन कुमार, सुरसंड से सैयद अबू दोजाना, रक्सौल से श्याम बिहारी प्रसाद, गोविंदगंज से शशिभूषण राय, नौतन से अमित कुमार, चनपटिया से अभिषेक रंजन, बेतिया से वसी अहमद, नरकटियागंज से शाश्वत केदार, वाल्मीकिनगर से सुरेंद्र प्रसाद, बगहा से जयेश मंगल सिंह, बेनीपुर से मिथिलेश चौधरी, जाले से ऋषि मिश्रा और रोसड़ा (सुरक्षित) से बीके रवि शामिल हैं।
जिले में कांग्रेस को अंतिम बार मिली जीत (कुछ प्रमुख विधानसभा क्षेत्रों में):
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पारू: वीरेंद्र कुमार सिंह (1972)
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साहेबगंज: नवल किशोर सिन्हा (1985)
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बरुराज: जमुना सिंह (1980)
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कांटी: शंभु शरण ठाकुर (1972)
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कुढ़नी: शिवनंदन राय (1985)
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सकरा: फकीरचंद राम (1980)
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मुजफ्फरपुर: विजेंद्र चौधरी (2020)
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औराई: राम बाबू सिंह (1972)
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गायघाट: वीरेंद्र कुमार सिंह (1985)
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मीनापुर: जनक सिंह (1969)
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बोचहां: आज तक कोई जीत नहीं
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि उत्तर बिहार, विशेष रूप से मुजफ्फरपुर जिले में कांग्रेस को अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है।