नई दिल्ली। लेह हिंसा के बाद सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी. सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को लेह हिंसा के बाद हिरासत में लिया गया था और उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत मामला दर्ज कर जोधपुर जेल भेज दिया गया है. उनकी पत्नी गीतांजलि ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरविंद कुमार और एनवी अंजारिया की पीठ ने मामले पर सुनवाई की और केंद्र सरकार तथा केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रशासन को नोटिस जारी किया है. अदालत ने जवाब दाखिल करने के लिए 14 अक्टूबर तक का समय दिया है.
याचिका में लगाए आरोप
याचिकाकर्ता गीतांजलि का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने गिरफ्तारी के कारणों पर सवाल उठाए हैं. सिब्बल ने अदालत को बताया कि सोनम की गिरफ्तारी की वजह स्पष्ट नहीं की गई थी, जो कि अदालत के फैसले के अनुसार किसी भी व्यक्ति को कैद करने पर परिवार को कारण बताना जरूरी होता है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सोनम की पत्नी को भी उनसे मिलने नहीं दिया गया.
केंद्र का पक्ष
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में केंद्र का पक्ष रखते हुए कहा कि सोनम की गिरफ्तारी सभी कानूनी प्रक्रियाओं के तहत हुई है और इस दौरान उनके किसी भी अधिकार का उल्लंघन नहीं किया गया है. मेहता के अनुसार, सोनम वांगचुक को कानून के अंतर्गत आने वाली सभी सुविधाएं दी गई हैं, और इस मामले को बढ़ा-चढ़ा कर पेश नहीं किया जाना चाहिए.
सोनम वांगचुक पर गंभीर आरोप
गौरतलब है कि 24 सितंबर को लेह में हिंसा भड़की थी, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के दो दिन बाद 26 सितंबर को सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया गया था. सोनम वांगचुक के एनजीओ पर अवैध विदेशी फंडिंग लेने का भी आरोप लगा है. गिरफ्तारी के बाद उन्हें जोधपुर कोर्ट में भेज दिया गया है.
Pls reaD:SC: भारत के मुख्य न्यायाधीश पर हमले का प्रयास