उत्तरकाशी। बीते गुरुवार सुबह तेलगाड के मुहाने के पास पहाड़ी से भारी भूस्खलन हुआ था, जिसके बाद स्थिति का जायजा लेने के लिए सेना ने ड्रोन से वीडियो और फोटोग्राफी की। अब इसके कुछ फोटो सामने आए हैं, जिनमें भूस्खलन के मलबे से पानी की धारा अवरुद्ध होती नजर आ रही है। यह स्थिति हर्षिल घाटी के लिए नई चिंताएं पैदा कर रही है, क्योंकि यहां पहले भी आपदाएं आ चुकी हैं।
आपदा की चपेट में दोबारा आ सकती है हर्षिल घाटी?
आशंका जताई जा रही है कि अगर यहां दोबारा से बादल फटने या भारी वर्षा होती है और तेलगाड में पानी का स्तर बढ़ता है, तो यह स्थिति एक बार फिर हर्षिल घाटी के लिए आपदा का सबब बन सकती है। यह चिंता स्वाभाविक है, क्योंकि पहाड़ों में भूस्खलन के बाद पानी का जमाव अक्सर निचले इलाकों में विनाशकारी बाढ़ का कारण बनता है। हालांकि, राज्य आपदा प्रतिवादन बल (SDRF) ने इस आशंका से इनकार किया है, जिससे थोड़ी राहत मिली है।
भूस्खलन से झील बनने की आशंका कम
एसडीआरएफ के जिला प्रभारी निरीक्षक जेपी बिजल्वाण का कहना है कि उनकी टीमों ने भी भूस्खलन क्षेत्र तक मुआयना करने के लिए वहां तक पहुंचने की कोशिश की थी। लेकिन खड़ी चट्टानों और कठिन भूभाग के कारण टीम इसमें सफल नहीं हो पाई। उन्होंने बताया कि “सेना की ओर से मिली फोटो में भूस्खलन का मलबा नजर आ रहा है। लेकिन वहां तेलगाड में पानी की मात्रा काफी कम है।”
निरीक्षक बिजल्वाण ने आगे कहा कि अब ऊपरी क्षेत्रों में बर्फबारी शुरू होने से पानी की धारा और कम होने की उम्मीद है। ऐसे में भूस्खलन से झील बनने की आशंका कम ही है। यह बयान थोड़ी राहत प्रदान करता है, लेकिन फिर भी स्थानीय प्रशासन और निवासियों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। पहाड़ों में मौसम कभी भी करवट ले सकता है, और ऐसे में किसी भी अप्रत्याशित स्थिति के लिए तैयार रहना महत्वपूर्ण है। हालांकि, तात्कालिक तौर पर एसडीआरएफ का आकलन है कि झील बनने और उसके फटने का खतरा कम है।