नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयात पर लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ के कारण भारत और अमेरिका के संबंधों में अभूतपूर्व बदलाव आया है। दोनों देशों के बीच व्यापारिक और राजनयिक रिश्ते ठंडे पड़ते जा रहे हैं। हालांकि, जो बाइडेन प्रशासन के पूर्व शीर्ष अधिकारी जेक सुलिवन और कर्ट कैंपबेल का मानना है कि यह साझेदारी इतनी महत्वपूर्ण है कि इसे हर हाल में बचाना होगा। उनका तर्क है कि अगर यह रिश्ता कमजोर पड़ता है, तो अमेरिका न केवल एक रणनीतिक मित्र खो देगा, बल्कि चीन को तकनीकी और रणनीतिक बढ़त हासिल करने का खतरा भी बढ़ जाएगा।
“रूस-चीन के करीब चला जाएगा भारत”
सुलिवन और कैंपबेल ने ‘फॉरेन अफेयर्स’ में लिखे एक साझा लेख में भारत को अमेरिका का “सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक साझेदार” बताया। उन्होंने ट्रंप को चेतावनी दी कि उनकी “नाटकीय हरकतें” भारत को चीन और रूस जैसे देशों के करीब धकेल सकती हैं। उन्होंने हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई गर्मजोशी भरी मुलाकात का जिक्र किया। दोनों पूर्व अधिकारियों ने कहा कि अगर अमेरिका ने भारत के साथ रिश्तों को सुधारने की कोशिश नहीं की, तो भारत को “नुकसान” उठाना पड़ सकता है। इसका मतलब है कि भारत न केवल चीन जैसे पड़ोसी से दबाव में आ सकता है, बल्कि तकनीक, शिक्षा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में अमेरिका के साथ सहयोग भी कमजोर पड़ सकता है।
“भारत-पाकिस्तान” को एक चश्मे से देखने की गलती न करें
सुलिवन और कैंपबेल ने अमेरिका को सलाह दी कि उसे भारत और पाकिस्तान को एक साथ जोड़कर देखने की नीति से बचना चाहिए। उनका कहना है कि भारत के साथ रिश्ते पाकिस्तान से कहीं ज्यादा अहम हैं। उन्होंने हाल की घटनाओं का भी जिक्र किया, जब ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर से मुलाकात की और व्यापार, आर्थिक विकास और क्रिप्टोकरेंसी जैसे मुद्दों पर बात की। इसके बाद अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ एक व्यापारिक समझौता किया और उसके कथित विशाल तेल भंडार को विकसित करने में मदद का वादा किया। उसी दौरान, भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ भी लगा दिया गया।
दोनों पूर्व अधिकारियों ने जोर दिया कि अमेरिका को पाकिस्तान के साथ आतंकवाद और परमाणु प्रसार जैसे मुद्दों पर सहयोग करना चाहिए, लेकिन भारत के साथ रिश्तों की तुलना में यह कम महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच हाल के संघर्षविराम का श्रेय भी लिया, जिसे भारत ने बार-बार खारिज किया है।
कुल मिलाकर, सुलिवन और कैंपबेल का यह लेख अमेरिका के लिए एक चेतावनी है कि उसे भारत के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता देनी चाहिए। उनका मानना है कि भारत एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, और उसके साथ संबंधों में गिरावट अमेरिका के भू-राजनीतिक हितों के लिए हानिकारक हो सकती है, खासकर चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए। उन्होंने ट्रंप प्रशासन की नीतियों की आलोचना की और भविष्य में भारत के साथ अधिक संतुलित और मजबूत साझेदारी बनाने की वकालत की।
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