नई दिल्ली: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज विज्ञान भवन में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के विधि, मानवाधिकार और आरटीआई विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन ‘संवैधानिक चुनौतियां: परिप्रेक्ष्य और मार्ग’ के दूसरे सत्र की अध्यक्षता की। इस दूसरे सत्र का विषय ‘धर्म और संविधान: सीमाएं और दिशानिर्देश’ था।
इस अवसर पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्म प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तिगत मामला होना चाहिए और राज्य का दृष्टिकोण धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक धर्म का सम्मान किया जाना चाहिए और हमें शांति एवं भाईचारे की अपनी प्राचीन परंपराओं को बनाए रखना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे देश में हर धर्म का सम्मान किया जाता है और यही हमारी एकता और भाईचारे की समृद्ध परंपराओं का आधार है। हम अपनी धार्मिक सहिष्णुता के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने कहा कि समृद्ध मूल्यों के अभाव में समाज में हिंसा व संघर्ष की संभावना बनी रहती है।
उन्होंने कहा कि धर्म का इस्तेमाल लोगों को बांटने के लिए नहीं किया जाना चाहिए और धर्म को राजनीति से अलग करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, डॉ. अभिषेक सिंघवी, अलका लांबा, प्रमोद तिवारी और अन्य ने भी अपने विचार रखे।