रुद्रपुर। उत्तराखंड के पेयजल सचिव शैलेश बगौली ने शनिवार को ऊधम सिंह नगर जिले का दौरा कर विभिन्न पेयजल योजनाओं का औचक निरीक्षण किया। रुद्रपुर और गदरपुर विकास खंडों में चल रही योजनाओं की गुणवत्ता, नल कनेक्शनों की स्थिति और आपूर्ति की प्रभावशीलता का जायजा लेते हुए उन्होंने अधिकारियों को समयबद्ध तरीके से काम पूरा करने और लोगों को जागरूक करने के सख्त निर्देश दिए। AMRUT-I योजना के कुछ कार्यों में हो रही देरी पर उन्होंने गहरी नाराजगी भी व्यक्त की।
ग्रामीण योजनाओं का निरीक्षण: कहीं संतोष, कहीं सुधार के निर्देश
सचिव बगौली ने अपने दौरे की शुरुआत दानपुर एकल ग्राम पेयजल योजना से की, जहां उन्होंने नलकूप और ऊर्ध्व जलाशय की गुणवत्ता को परखा, जो उत्तम पाई गई। इस योजना से 314 परिवारों को क्रियाशील नल कनेक्शन (FHTC) दिए गए हैं और मौके पर पानी की आपूर्ति व गुणवत्ता संतोषजनक रही।
इसके बाद, रायपुर एकल ग्राम पेयजल योजना के निरीक्षण के दौरान स्थानीय ग्रामीणों ने पाइपलाइन लीकेज की शिकायत की। इस पर सचिव ने अधिशासी अभियंता को तत्काल निरीक्षण कर एक सप्ताह के भीतर लीकेज रोकने और अनुपालन रिपोर्ट मुख्यालय भेजने का कड़ा निर्देश दिया। वहीं, सरोवरनगर बहुल ग्राम पेयजल योजना में यह बात सामने आई कि 25 परिवारों ने नल कनेक्शन लेने से इनकार कर दिया था। श्री बगौली ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इन परिवारों को विशेष प्रयास कर जागरूक करें और एक महीने के भीतर कनेक्शन उपलब्ध कराकर रिपोर्ट दें।
AMRUT-I योजना में ढिलाई पर जताई नाराजगी
शहरी क्षेत्र की AMRUT-I योजना की समीक्षा करते हुए सचिव ने पाया कि दो जोनों में अभी भी कई उपभोक्ताओं ने पानी के कनेक्शन नहीं लिए हैं। उन्होंने इस पर असंतोष व्यक्त करते हुए अधिशासी अभियंता को नगर आयुक्त के साथ समन्वय कर एक विशेष जनजागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा, “लोगों को हैंडपंप के मुकाबले पाइप्ड वॉटर सप्लाई की स्वच्छता, निरंतरता और स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताएं, ताकि वे कनेक्शन लेने के लिए प्रेरित हों।” योजना के कुछ कार्यों के अब तक अधूरे रहने पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने एक सप्ताह के भीतर एक स्पष्ट और समयबद्ध कार्ययोजना मुख्यालय भेजने का आदेश दिया।
फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट का भी किया निरीक्षण
सचिव बगौली ने रुद्रपुर शहर में निर्मित 25 केएलडी क्षमता वाले फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (FSTP) का भी निरीक्षण किया। उन्होंने पाया कि यहां प्रतिदिन 10-12 स्लज टैंकरों का प्रभावी उपचार किया जा रहा है, जो संतोषजनक है। उन्होंने अधिकारियों को एक महत्वपूर्ण निर्देश देते हुए कहा कि शहर की आबादी के आधार पर प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले अनुमानित फीकल स्लज की गणना की जाए और इसकी तुलना FSTP पर पहुंच रही वास्तविक मात्रा से की जाए। उन्होंने कहा, “यदि दोनों में कोई बड़ा अंतर है, तो उसे दूर करने के लिए एक व्यावहारिक कार्ययोजना बनाएं,” ताकि अवैध डंपिंग को रोका जा सके।
इस निरीक्षण के दौरान अभियंता बिशन कुमार, तरुण शर्मा, सुशील बिष्ट, ललित पांडे, चेतन चौहान, अजय श्रीवास्तव सहित कई स्थानीय जनप्रतिनिधि और ग्रामीण उपस्थित रहे।