नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को भारत की बढ़ती सैन्य और रणनीतिक क्षमता का एक असाधारण उदाहरण बताया। उन्होंने इस मिशन को न केवल आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक कार्रवाई, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की एक शानदार सफलता के रूप में प्रस्तुत किया, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
प्रधानमंत्री ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “ऑपरेशन सिंदूर देश के लिए एक गर्व का क्षण है। इस ऑपरेशन ने दुनिया को दिखाया है कि भारत अपनी सुरक्षा और वैश्विक शांति सुनिश्चित करने के लिए कितना प्रतिबद्ध है।” उन्होंने इस मिशन की सटीकता और गति की सराहना करते हुए बताया कि भारतीय बलों ने मात्र 22 मिनट के भीतर आतंकियों के आकाओं के ठिकानों को सफलतापूर्वक जमींदोज कर दिया। यह उपलब्धि भारत की ऑपरेशनल तैयारियों और खुफिया तंत्र की श्रेष्ठता को साबित करती है।
इस संबोधन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू ‘मेड इन इंडिया’ हथियारों पर दिया गया जोर था। प्रधानमंत्री मोदी ने गर्व के साथ कहा, “यह ऑपरेशन पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक और ‘मेड इन इंडिया’ हथियारों की ताकत का सबूत है। आज दुनिया भर के देश भारत के इन हथियारों की ओर आकर्षित हो रहे हैं और उनकी क्षमताओं को पहचान रहे हैं।” उन्होंने अपने विदेशी दौरों का जिक्र करते हुए कहा, “मैं जब भी दुनिया के नेताओं से मिलता हूं, तो वे भारत की इस नई सैन्य शक्ति की प्रशंसा करते हैं और हमारी रक्षा प्रौद्योगिकी में गहरी रुचि दिखाते हैं।” यह इस बात का संकेत है कि भारत अब रक्षा उपकरणों का केवल आयातक नहीं, बल्कि एक संभावित निर्यातक के रूप में भी उभर रहा है।
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सभी निर्धारित लक्ष्य सफलतापूर्वक हासिल किए गए। यह मिशन केवल सैन्य ताकत का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता की यात्रा में एक मील का पत्थर है। स्वदेशी हथियारों के सफल उपयोग ने यह संदेश दिया है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए अब किसी दूसरे देश पर निर्भर नहीं है, और यह उसकी बढ़ती रक्षा क्षमता का प्रतीक है।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने देश की उपलब्धियों को सिर्फ धरती तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने अंतरिक्ष में भारत की ऐतिहासिक छलांग का भी उल्लेख किया। अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कदम रखने की घटना को उन्होंने देश के लिए एक “ऐतिहासिक लम्हा” बताया। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की परिपक्वता और हमारे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत को दर्शाती है, जो देश की वैश्विक प्रतिष्ठा को और मजबूत करती है।
कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री का यह संबोधन एक ऐसे नए भारत की तस्वीर पेश करता है जो रक्षा और अंतरिक्ष, दोनों ही क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है और वैश्विक मंच पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ रहा है।