लंदन। ब्रिटेन की राजधानी लंदन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की एक दुर्लभ और ऐतिहासिक पेंटिंग की नीलामी हुई है। यह तस्वीर इसलिए खास है क्योंकि माना जाता है कि यह एकमात्र ऑयल पेंटिंग है, जिसके लिए बापू खुद एक मॉडल की तरह सामने बैठे थे और एक कलाकार ने उन्हें देखकर कैनवास पर उतारा था। लंदन के प्रतिष्ठित बोनहम्स ऑक्शन हाउस में मंगलवार को हुई ऑनलाइन नीलामी में यह पेंटिंग 1,52,800 पाउंड (लगभग 1.7 करोड़ रुपये) की भारी-भरकम कीमत पर बिकी है।
उम्मीद से तीन गुना ज्यादा कीमत पर बिकी
ब्रिटिश कलाकार क्लेयर लीटन द्वारा बनाई गई इस पेंटिंग को ‘पोर्ट्रेट ऑफ महात्मा गांधी’ (Portrait of Mahatma Gandhi) नाम दिया गया है। इसकी नीलामी ने सभी को चौंका दिया, क्योंकि यह अनुमान से लगभग तीन गुना अधिक कीमत पर बिकी। नीलामी घर को उम्मीद थी कि यह पेंटिंग 57 से 80 लाख रुपये के बीच बिकेगी, लेकिन इसने सभी अनुमानों को तोड़ते हुए 1.7 करोड़ रुपये की अभूतपूर्व कीमत हासिल की।
क्या है इस तस्वीर का इतिहास और क्यों है यह खास?
इस पेंटिंग का इतिहास भी उतना ही दिलचस्प है। यह बात साल 1931 की है, जब महात्मा गांधी दूसरी गोलमेज सम्मेलन (Round Table Conference) में भाग लेने के लिए लंदन गए थे। उस समय, इस पेंटिंग को बनाने वाली कलाकार क्लेयर लीटन मशहूर राजनीतिक पत्रकार हेनरी नोएल के साथ रिलेशनशिप में थीं। हेनरी भारतीय स्वतंत्रता के प्रबल समर्थकों में से थे और इसी वजह से उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई।
हेनरी की वजह से ही लीटन को गांधी जी से मिलने और उनकी यह ऐतिहासिक तस्वीर बनाने का मौका मिला। मुलाकात के दौरान, लीटन ने गांधी जी के सामने उनकी पेंटिंग बनाने की पेशकश की, जिसके लिए बापू सहजता से मान गए। इसके बाद वह एक मॉडल की तरह उनके सामने बैठे और लीटन ने उन्हें अपने कैनवास पर उतार लिया। कहा जाता है कि यह ऑयल पेंटिंग खुद गांधी जी को भी बहुत पसंद आई थी।
एक हमले का भी शिकार हो चुकी है यह पेंटिंग
इस पेंटिंग ने एक मुश्किल दौर भी देखा है। लीटन के परिवार के अनुसार, साल 1974 में जब इसे एक सार्वजनिक प्रदर्शनी में रखा गया था, तब एक कार्यकर्ता (एक्टिविस्ट) ने इस पर हमला कर दिया था, जिससे इसे कुछ नुकसान पहुंचा था। हालांकि, बाद में इसे कुशलतापूर्वक सही (रिस्टोर) कर लिया गया। इस घटना के कारण परिवार को यह उम्मीद नहीं थी कि यह इतनी ऊंची कीमत पर बिकेगी, लेकिन नीलामी के नतीजों ने उन्हें भी हैरान कर दिया।
94 साल बाद हुई इस नीलामी ने एक बार फिर महात्मा गांधी की वैश्विक विरासत और उनसे जुड़ी चीजों के ऐतिहासिक महत्व को साबित कर दिया है। यह पेंटिंग सिर्फ एक कलाकृति नहीं, बल्कि इतिहास का एक जीवंत टुकड़ा है, जिसने अब एक नया ठिकाना ढूंढ लिया है।
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