शिमला। हिमाचल प्रदेश में अब जमीन की रजिस्ट्री करवाना पहले से कहीं ज्यादा आसान और सुविधाजनक हो गया है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज ‘माई डीड’ एनजीडीआरएस (राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज़ पंजीकरण प्रणाली) पायलट प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य राजस्व विभाग के कामकाज को जन-हितैषी बनाना और लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने से मुक्ति दिलाना है।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत अब नागरिकों को अपनी जमीन की रजिस्ट्री करवाने के लिए केवल एक बार ही कार्यालय आना होगा। वे कहीं से भी और किसी भी समय भूमि पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं, जिससे उनके समय और प्रयास की काफी बचत होगी। यह पायलट प्रोजेक्ट फिलहाल राज्य के 10 तहसीलों में शुरू किया गया है, जिनमें बिलासपुर सदर, चंबा की डलहौजी, हमीरपुर की गलोड़, कांगड़ा की जयसिंहपुर, कुल्लू की भुंतर, मंडी की पधर, शिमला की कुमारसैन, सिरमौर की राजगढ़, सोलन की कंडाघाट और ऊना की बंगाणा तहसील शामिल हैं।
जमाबंदी का नया प्रारूप और ई-रोज़नामचा भी लॉन्च
‘माई डीड’ के साथ-साथ मुख्यमंत्री ने राजस्व विभाग के कामकाज को और बेहतर बनाने के लिए जमाबंदी का नया प्रारूप, ई-रोज़नामचा वाक्याति और कारगुजारी पहलों का भी शुभारंभ किया।
नए जमाबंदी प्रारूप को बेहद सरल बनाया गया है और अब यह आसान हिंदी में उपलब्ध है। इसमें से उर्दू, अरबी और फारसी जैसे पुराने और कठिन शब्दों को हटा दिया गया है, ताकि आम लोग भी अपने भूमि रिकॉर्ड को आसानी से समझ सकें। ई-रोज़नामचा वाक्याति पटवारियों को दैनिक घटनाओं का डिजिटल रिकॉर्ड रखने में मदद करेगा, जबकि कारगुजारी का उपयोग उनकी ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने के लिए किया जाएगा।
मुख्यमंत्री का ‘पेपरलेस, प्रेजेंस-लेस, कैशलेस’ विजन
इस अवसर पर मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि प्रौद्योगिकी का उपयोग सेवाओं को बेहतर बनाने और लोगों की मदद करने के लिए किया जाना चाहिए, ताकि पारदर्शिता आए और राजस्व सेवाएं अधिक कुशल बनें। उन्होंने कहा, “हमें एक ऐसी प्रणाली की ओर बढ़ना चाहिए जो कागज रहित (paperless), उपस्थिति रहित (presence-less) और नकद रहित (cashless) हो, ताकि लोग घर बैठे सरकारी सेवाओं का लाभ उठा सकें।”
अधिकारियों को समय-सीमा के भीतर काम पूरा करने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) और डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं शासन विभाग को कई डिजिटल मॉड्यूल पर काम तेज करने के कड़े निर्देश दिए:
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10 दिनों के भीतर: डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित जमाबंदी मॉड्यूल विकसित करने का निर्देश दिया, ताकि लोगों को ‘फर्द’ (भूमि रिकॉर्ड की प्रति) के लिए पटवारखानों के चक्कर न काटने पड़ें।
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15 दिनों के भीतर: एक ऑनलाइन, पेपरलेस राजस्व न्यायालय प्रबंधन प्रणाली तैयार करने को कहा। इससे लोग ऑनलाइन याचिका दायर कर सकेंगे और उन्हें समन व अपडेट डिजिटल रूप से प्राप्त होंगे।
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15 दिनों के भीतर: एक ऑनलाइन म्यूटेशन (इंतकाल) मॉड्यूल विकसित करने को कहा, जिससे म्यूटेशन पंजीकरण में तेजी आएगी।
मुख्यमंत्री ने उपायुक्तों को ‘खांगी तकसीम’ (भूमि का आपसी बंटवारा) को मिशन मोड में लागू करने का भी निर्देश दिया, ताकि ‘एकल खाता, एकल मालिक’ की अवधारणा की ओर बढ़ा जा सके। उन्होंने कहा कि ये डिजिटल सुधार लोगों को बार-बार सरकारी दफ्तरों में आने की जरूरत को काफी कम कर देंगे और सार्वजनिक मुद्दों को तेजी से हल करने में मदद करेंगे। इस अवसर पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी सहित कई विधायक और वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।