देहरादून। 38 साल पहले सरहद की निगेहबानी करते हुए ग्लेशियर खिसकने से शहीद हुए उत्तराखंड के लांस नायक चंद्रशेखर ह्रर्बोला का पार्थिव शरीर आज उनके पैतृिक निवास हल्द्वानी पहुंचेगा। वह अपने पीछे पत्नी शांति देवी और दो मासूम बेटियों को छोड़ गए थे। चन्द्रशेखर जब बलिदान हुए तब उनकी पत्नी की उम्र सिर्फ 28 साल थी।
चन्द्रशेखर हर्बोला भारतीय सेना के सबसे सफल ऑपरेशन में से एक ऑपरेशन मेघदूत के सदस्य थे। दरअसल, साल 1984 में सियाचिन ग्लेशियर को हासिल करने के उद्देश्य से भारतीय सेना ने ऑपरेशन मेघदूत लांच किया था। ऑपरेशन मेघदूत की शुरुआत की वजह पाकिस्तान की नापाक हरकतें थीं। पाकिस्तान सियाचिन पर कब्जा करना चाहता था। इस दौरान भारत और पाकिस्तान की सेना आमने-सामने थीं। 19 कुमाऊँ रेजिमेंट के लांस नायक चंद्रशेखर और उनकी टीम को पॉइंट 5965 पर कब्जा करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस टीम ने पॉइंट 5965 पर कब्जा तो कर लिया लेकिन भारतीय सेना ने अपने 18 वीर जवान खो दिए थे।
सेना के जवानों की इस बलिदान को लेकर अधिकारी ने बताया कि सेना रात को रुकते समय हिमस्खलन की चपेट में आ गई थी। जिसमें एक अधिकारी सेकंड लेफ्टिनेंट पीएस पुंडीर सहित भारतीय सेना के 18 जवान बलिदान हो गए थे। इस दुर्घटना में 14 सैनिकों के शव मिले थे जबकि 5 अन्य लापता थे, जिसमें चंद्रशेखर हर्बोला भी शामिल थे। अब सियाचन से उनके बर्फ के नीचे से दबी पार्थव देह मिल गई है। जिसका पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। हर्बोला के पार्थिव शरीर के सोमवार देर शाम हल्द्वानी पहुंचेगा   जिसके बाद आज सैनी सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. मूल रूप से अल्मोड़ा के निवासी हर्बोला की पत्नी शांति देवी इस समय हल्द्वानी की सरस्वती विहार कॉलोनी में रहती हैं. आज मुख्यमंत्री स्वयं हल्द्वानी जाकर शहीद सैनिक को श्रद्धांजलि देंगे