News analysis: धामी की दोबारा ताजपोशी पर फंस गया है पेच – The Hill News

News analysis: धामी की दोबारा ताजपोशी पर फंस गया है पेच

उत्तराखंड की सियासी क्रीज पर कप्तान धामी के क्लीन बोल्ड होने के बाद अब केंद्र नए कैप्टन की तलाश में जुट गया है। भाजपा प्रदेश संगठन यूं तो सैंटर की कसौटी पर खरा उतरने में कामयाब रहा लेकिन खटीमा मे खोई एक सीट ने इस सवाल के साथ बवाल खड़ा कर दिया है कि – उत्तराखंड का अगला मुख्यमंत्री होगा कौन? वैसे तो काहानी मे धामी अब भी नायक है लेकिन संसदीय बोर्ड में नाकामयाब पुष्कर सिंह धामी के नाम पर पेंच फंस गया है…

कुछ भी कहो लेकिन शिखस्त खाई कांग्रेस जाते जाते भी उत्तराखंड भाजपा को शिकन दे गई है। आलम ये है कि पहले जीत के लिए कुश्ती लड़ी और अब कसरत कर रही है पार्टी कमान किसी सही हाथ मे सौंपने के लिए। ये जिम्मेदार हाथ 47 चेहरों में किसी का भी हो सकता है। हालाकि दिलचस्प ये है कि चुने गए इन 47 विधायकों में कुछ तो ऐसे हैं जो खुद पैर खींच पैरवी कार्यवाहक मुख्यमंत्री की कर रहे हैं। इसी को लेकर भाजपा की संसदीय बोर्ड की मीटिंग में चर्चा भी हुई। हाईकमान को धामी पर राजी करने की कोशिश भी की गई लेकिन लगता है बीजेपी का ये पार्लिमेंटरी बोर्ड अपने इस फायर नेता पर फैसला लेने मे संकोच कर रहा है।

 ‘फायर नेता’ पर फैसला कब ?

अपना पुष्कर फ्लॉवर भी है और फायर भी- कुछ ऐसा ही कह गए थे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जब भाजपा के लिए वोट बटौरने उत्तराखंड आए थे। सिर्फ वही नही केंद्र की हर दहाड़ में धामी शेर थे। लेकिन हार के बाद जब भाजपा की संसदीय बोर्ड की मीटिंग बुलाई गई तो इसके कईं सदस्य धामी को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर राजी नही दिखे। जानकारी के लिए बता दें, पार्टी का यही पार्लिमेंटरी
बोर्ड ये तय करेगा कि अगला सीएम होगा कौन। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इसका हिस्सा हैं और पहली बैठक में स्थिती की समीक्षा भी कर चुके हैं लेकिन खबरों के मुताबिक इस मीटिंग में धामी पर मोहर नही लगी। हालाकि ये जरुर तय किया गया कि मुख्यमंत्री बनेगा तो सिर्फ विधायकों में, यानी अभी तक जो सांसदों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म था उनके सीएम बनाए जाने की अटकलों पर यहां फुल स्टॉप लगता दिख रहा है। बचे सतपाल महाराज, धन सिंह रावत, बिशन सिंह चुफाल, ऋतु खंडूरी और पुष्कर सिंह धामी ये अब भी रेस मे दौड़ रहे हैं। आपको ये भी बता दें, बीजेपी संसदीय बोर्ड की मीटिंग का उद्देश्य जीत वाले चार राज्यों के लिए पर्यवेक्षकों के नाम तय करना भी था। जो हो चुके हैं केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान को नए नेता के चुनाव के लिए ,विधायक दल की बैठक की निगरानी के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में उत्तराखंड में नियुक्त किया गया है।

पर्यवेक्षक ले रहे हैं टोह 

मंत्री पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान इस समय पूरी स्थिती का जायजा ले रहे हैं। इस बात को कईं जगाहों पर उठाया जा चुका है कि लोकसभा के चुनाव पर चुना जा रहा नाम असर डाल सकता है। उपर से ये भी कोई नही नकार सकता है कि युवा नेतृत्व के जिस कार्ड पर भाजपा ने प्रदेश मे बहुमत से जीत हासिल की है उसके मुख्य पात्र पुष्कर धामी ही हैं। ऐसे में पर्यवेक्षकों के लिए फैसला आसान नही है। इतना तय है कि पूर्ण सहमति तो धामी के नाम पर नही है वरना इतनी देरी होती नही । और अब तो बीजेपी अध्यक्ष मदन कौशिक ने भी कह दिया है कि आज कल मे तो शपथ ग्रहण बिल्कुल नही है, लेकिन सवाल है फिर आखिर कौन सी तारीख को सूबे को उसका मुख्य मिलेगा?

कब मिलने जा रहा है सूबे को उसका मुखिया

मिली जानकारी कहती है कि होली के बाद ही सीएम चेहरे की घोषणा होगी। 19 मार्च को विधायक दल की मीटिंग बुलाई जाएगी, जिसमें नए सीएम के नाम पर आधिकारिक मुहर लग जाएगी.मामाले में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा है कि “उत्तराखंड के नए सीएम के नाम पर 20 मार्च तक फैसला होगा. बीजेपी संगठन द्वारा नवनिर्वाचित विधायकों को होली के बाद देहरादून में रहने का निर्देश दिया गया है.”

अब कौशिक की कही बात के तो कईं मायने निकल रहे हैं। नवनिर्वाचित विधायकों को दून में रहने के लिए कहना अपने आप में कईं इशारे समेटे है, पर ठीक है तमाम सवालों और लगाई जा रही हर कयास पर जल्द ही विराम लगने को है। बस कुछ ही दिन मे साफ हो जाएगा कि सीएम चेहरे पर फंसे ये पेच सुलझने के साथ प्रदेश की सियासत में कौन सी नई खलबली मचाते हैं….

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