जेल में तैयार हो रहा ‘इम्यूनिटी बूस्टर’, लगाए 30 प्रजाति के औषधीय पौधे – The Hill News

जेल में तैयार हो रहा ‘इम्यूनिटी बूस्टर’, लगाए 30 प्रजाति के औषधीय पौधे

यह सुखद अनुभूति है कि देहरादून की सुद्धोवाला जेल में सुधार को नित नए प्रयास हो रहे हैं। विशेषकर कैदियों के मन में रचनात्मक कार्यों के बीज रोपित करने को। इसी कड़ी में कोरोना काल के दौरान कैदियों व जेल स्टाफ में इम्यूनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाने के प्रयास हुए। क्योंकि, 2020 में कोरोना की पहली लहर के दौरान प्रदेश में 120 और 2021 में दूसरी लहर के दौरान 20 कैदी व स्टाफ कोरोना संक्रमित हुए। इसलिए कैदी व स्टाफ में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रदेश की जेलों में औषधीय पौधे लगाए जा रहे हैं।

देहरादून की सुद्धोवाला जेल में आधा बीघा भूमि पर 30 प्रजाति के औषधीय पौधे लगाए गए हैं। इनमें अधिकतर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले हैं। इसके अलावा आठ बीघा भूमि में लेमन ग्रास के साथ आंवला के पौधे लगाए गए हैं। लेमन ग्रास लगाने के पीछे मंशा दोहरा लाभ लेने की है। लेमनग्रास जहां सेहत के लिए फायदेमंद होता है, वहीं इससे जेल में ही फिनाइल भी तैयार किया जाएगा।

चाय से लेकर खाने तक में होगा इस्तेमाल

जेलर पवन कोठारी बताते हैं कि जेल में लगाए गए औषधीय पौधों का सेवन कैदी व स्टाफ सुबह की चाय, दोपहर व शाम के भोजन और काढ़ा के रूप में कर पाएंगे। इसके अलावा कैदियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को सुबह-शाम योगाभ्यास कराया जा रहा है। ताकि कैदी व स्टाफ कोरोना से लडऩे के लिए पूरी तरह फिट रह सकें। पूर्व आइजी एपी अंशुमान ने यह पहल की थी।

सुद्धोवाला जेल में लगे औषधीय पौधे

शमी, अपामार्ग, कपूर, कामिनी, मुलहठी, शतावरी बेल, भृंगराज, देसी अकरकरा, सर्पगंधा, पत्थरचट्टा, पिपरमेंट, स्टीविया, जैसमीन, नीम, अजवाइन, कढ़ी पत्ता, मेंहदी, बड़ी तुलसी, हरड़, बहेड़ा, आंवला, अनार, रात की रानी, लहसुन बेल, मोगरा, हरसिंगार, पीपली, छुईमुई और पुनर्नवा।

जेल में तैयार किए गए मास्क

कोरोना संक्रमण को देखते हुए कुछ कैदियों को मास्क बनाने के लिए भी प्रशिक्षित किया गया है। जेलर पवन कोठारी बताते हैं कि कोरोनाकाल में बाहर से मास्क लेने की जरूरत नहीं पड़ी। कैदियों ने अब तक करीब पांच हजार मास्क तैयार किए हैं, जो कि कैदियों व जेल स्टाफ में बांटे गए।

सुद्धोवाला जेल के वरिष्‍ठ अधिक्षक दधीराम का कहना है कि जेल में औषधीय पौधों की खेती करने का एक फायदा यह भी है कि कैदी बागवानी में पारंगत हो जाएंगे। जो कैदी सजा पूरी करके घर लौटेंगे, उन्हें बागवानी का पूरा ज्ञान होगा और वह घरों में भी औषधीय पौधे लगा सकेंगे।

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