मंत्री हरक की हेकड़ी पर भाजपा की चुप्पी से खुले कई मोर्चे

देहरादून। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के कोटद्वार विधानसभा सीट छोड़ने के मंसूबे से कई भाजपा दावेदार परेशान हैं। आलम यह है कि हरक की वजह से  कई विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के बागी सुर उठने लगे हैं। कोटद्वार में हरक की कमजोर स्थिति के चलते उन्होंने पार्टी को चार विकल्प दिये थे, जिसमें डोईवाला, लैंसडाउन, केदारनाथ और यमकेश्वर शामिल हैं। हरक के इस दांव के बाद सबसे पहले लैंसडाउन में भाजपा विधायक दिलीप रावत ने बागी सुर तेज कर कर दिये। वह तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल से भी चुपके चुपके मिल लिए। अब केदारनाथ से भाजपा की दावेदार और पूर्व विधायक शैला रानी रावत ने मोर्चा खोल दिया है। उधर, भाजपा का शीर्ष नेतृत्व हरक के हथकंडों पर चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं, पीएम मोदी के हर बार मंच से हरक का नाम लेने से उनके हौसले और बुलंद हो रहे हैं। 

हरक सिंह रावत कोटद्वार में कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी के खिलाफ उतरने से बच रहे हैं। कोटद्वार छोड़ने की इच्छा जाहिर कर हरक ने साफ कर दिया है कि नेगी इस बार उनपर भारी पड़ रहे हैं। हरक चाहते हैं कि उनको लैंसडाउन शिफ्ट कर दिया जाए और मंहत दिलीप का टिकट काटा जाए। महंत दमदार नेताओं में हैं, लेकिन हरक का हठ देखकर उन्होंने उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। दिलीप इसलिए परेशान हैं कि पार्टी हरक की मंशा पर स्थिति साफ नहीं कर रही, जिससे परेशान होकर वह कांग्रेस के नेताओं से मेलजोल बढ़ा रहे हैं। दिलीप की यह दबाव की राजनीति हो सकती है, लेकिन भाजपा में हरक के खिलाप बगावत का बिगुल उन्होंने फूंक दिया है, जिसमें अब कई और नेता भी कूदने लगे हैं। केदारनाथ से भाजपा की दावेदार और पूर्व विधायक शैलारानी रावत भी हरक के मंसूबों से परेशान हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि अगर पैराशूट से उनके क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी उतारती है तो वह उसका खुला विरोध करेंगी। शैलारानी रावत एक समय में हरक की करीबी मानी जाती रही हैं, लेकिन सीट जाती देखकर उन्होंने हरक के खिलाफ मोर्चा खोलने का मन बना लिया है। 
वहीं पार्टी ने जल्द ही हरक के मास्टर प्लान पर स्थिति साफ नहीं की तो भाजपा में कई और जगहों से भी बगावत के सुर उठ सकते हैं। हरक तो यह भी चाह रहे हैं कि पार्टी पूर्व सीएम त्रिवेंद्र का टिकट काट कर उन्हें डोईवाला से उतार दे। त्रिवेंद्र से हरक के खराब रिश्तों को इसकी वजह माना जा रहा है। हालांकि त्रिवेंद्र ने हरक की मंशा पर कोई टिप्पणी नहीं की। अब देखना यह है कि कोटद्वार में हरक की पतली हालत को देखते हुए भाजपा उनको कहां से उतारती है। यह भी संभव है कि भाजपा उनको कोटद्वार से ही टिकट दे, ऐसे में हरक कांग्रेस में पलायन करने की संभावनाएं भी तलाश सकती हैं, जिसकी सियासी गलियारों में खासी चर्चा है।

 

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