नई दिल्ली: तमिलनाडु के कन्नूर में हेलीकॉप्टर (Helicopter Crash) हादसे में जान गवांने वाले भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) का शव अपने अंतिम सफर पर है. प्रोटोकॉल के अनुसार उन्हें 17 तोपों की सलामी दी जाएगी. तोपों की सलामी को लेकर लोगों के मन में अक्सर ये सवाल उठते हैं कि आखिर ये क्यों दी जाती है इसके पीछे क्या वजह है. अलग-अलग मौकों पर तोपों की संख्या अलग क्यों होती है? आमतौर पर भारत में 21 तोपों की सलाम दी जाती है. लेकिन बिपिन रावत को 17 तोपों की सलामी दी जाएगी. आइए जानते हैं इसके पीछे क्या वजह है?
सम्मान का प्रतीक है सलामी
दरअसल यह सम्मान (state honor) देने की एक प्रक्रिया है. जिसका फैसला सरकार करती है किसे राजकीय सम्मान देना है किसे नहीं. राजनीति, साहित्य, कानून, विज्ञान और कला के क्षेत्र में योगदान करने वाले शख्सियतों के निधन पर राजकीय सम्मान दिया जाने लगा है. गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस सहित कई अन्य मौकों पर तोपों की सलामी (Gun salute) दी जाती है. विशेष मौकों पर तोपों की सलामी देकर सम्मान दिया जाता है. वहीं भारतीय सेना के सैन्य सम्मान उन सैनिकों को दिया जाता है जिन्होंने शांति अथवा युद्ध काल में अपना विशेष योगदान दिया हो. राजकीय सम्मान (state honor) में भी तोपों की सलामी दी जाती है.
17 तोपों की सलामी से किया जाएगा सम्मानित
17 तोपों की सलामी हाई रैंकिंग सेना अधिकारी, नेवल ऑपरेशंस के चीफ और आर्मी और एयरफोर्स के चीफ ऑफ स्टाफ को दी जाती है. भारत में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद नया है. चूंकि ये पद सेना से जुड़ा हुआ है इसलिए उन्हें भी 21 नहीं बल्कि 17 तोपों की ही सलामी दी जाएगी. कई मौकों पर भारत के राष्ट्रपति, सैन्य और वरिष्ठ नेताओं के अंतिम संस्कार के दौरान 21 तोपों की सलामी दी जाती है.