देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देहरादून पहुंच कर देवभूमि उत्तराखंड की जनता और उसकी समृद्ध संस्कृति के आगे शीश नवा आगामी विधानसभा चुनाव का शंखनाद कर दिया है। मोदी ने संबोधन की शुरुआत गढ़वाली में- म्यरा-दाना स्याणों, दीदी भूळियों तैं में सेवा लगाणू छों, कहकर की। एक कविता की कुछ पंक्तियों से उन्होंने अंत किया। जिसकी अंतिम पंक्ति थी-है भाग्य मेरा, सौभाग्य मेरा, तुमको शीष नवाता हूं। प्रधानमंत्री ने 35 मिनट के संबोधन में केंद्र सरकार के उत्तराखंड के प्रति समर्पण पर फोकस करते हुए उत्तराखंड में दोबारा भाजपा के इंजन को जोड़ने का जन आह्वान किया।
पीएम मोदी ने कहा कि उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार की दरकार है। इसके समर्थन में उन्होंने पिछले सात में केंद्र की अपनी सरकार की तुलना इससे पहले रही यूपीए की सरकार के सात वर्ष के कार्यकाल से की। उनको प्रदेश में आधारभूत ढांचे के विकास को मानक बनाकर जनता को समझाया कि सात साल में केंद्र किस कदर उत्तराखंड में विकास कर रहा है। यूपीए के सात साल में 280 किलोमीटर नेशनल हाइवे और एनडीए के इन सात साल में दो हजार किलोमीटर रोड बनी। यूपीए सरकार ने उत्तराखंड में सात सालों के भीतर छह सौ करोड़ खर्च किये एनडीए ने बारह हजार करोड़ खर्चे। उत्तराखंड के प्रति केंद्र सरकार के जुड़ाव और डबल इंजन की सार्थकता को समझाने की उनकी कोशिश रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बीते 5 वर्षों में उत्तराखंड के विकास के लिए केंद्र सरकार ने एक लाख करोड रुपए से अधिक परियोजनाएं स्वीकृत की है। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इस देश में कनेक्टिविटी को बढ़ाने का प्रयास किया। अटल सरकार के बाद देश में राज्य करने वाली सरकारों ने कोई भी काम नहीं किया। पीएम मोदी का फोकस अपने कामकाज और भविष्य की योजनाओं पर रहा। प्रदेश में हुए निवेश को उन्होंने विकास से लेकर रोजगार से जोड़ा। यहां के सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिए अपनी प्राथमिकताएं गिनाई। एक बार फिर पहाड़ के पानी और जवानी को उन्होंने याद किया। उन्होंने कहा कि अब वह समय आ गया है जब पहाड़ का पानी और जवानी पहाड़ के काम आ रहे हैं। कांग्रेस का नाम लिये बिना उन्होंने पिछली सरकार को कोसा भी। प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल, कुछ वर्ग के लोगों पर ही ध्यान देती रही है। क्योंकि, वह जनता को सिर्फ एक वोट बैंक की तरह दिखती है। अन्य राजनीतिक दल यही चाहती रही हैं कि जनता हमेशा मजबूर बनी रहे। अन्य राजनीतिक दल के प्रयास इसी दिशा में रहे कि जनता को मजबूत नहीं बनने देना है। सोची समझी राजनीति के तहत जनता को बनाया गया आश्रित। तो वहीं भाजपा, सबका साथ और सबका विकास के तहत चल रही हैं। भाजपा ने लोगों को वोट बैंक का आधार नहीं बनाया बल्कि लोगों की सेवा की है। देश तब मजबूत होगा जब हर परिवार मजबूत होगा। भाजपा सरकार जनता को आश्रित नहीं बल्कि आत्मनिर्भर बनाना चाहती है।प्रधानमंत्री मोदी अपने संबोधन से भाजपा को चुनावी मंत्र दे गए कि जनता के बीच विकास योजनाओं, सुशासन और जन समर्पण के भाव के साथ जाना होगा। केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार के अब तक मिले फायदों को गिनाने के साथ भविष्य के रोडमैप को भी रखना होगा।