नई दिल्ली. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय यात्रा पर आज नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। उनका यह दौरा कूटनीतिक और व्यापारिक नजरिए से बेहद खास माना जा रहा है। जानकारी के मुताबिक पुतिन भारतीय धरती पर करीब 28 घंटे बिताएंगे और इस दौरान भारत और रूस के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर मुहर लगने की उम्मीद है। राष्ट्रपति पुतिन का विशेष विमान गुरुवार शाम साढ़े चार बजे दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को रूसी राष्ट्रपति के सम्मान में एक निजी रात्रिभोज की मेजबानी करेंगे। यह मुलाकात उसी तर्ज पर होगी जैसे जुलाई 2024 में मास्को में पुतिन ने अपने आवास नोवो-ओगारयोवो में मोदी के साथ करीब चार घंटे का एकांत समय बिताया था। माना जा रहा है कि गुरुवार शाम भारतीय प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर भी वैसा ही गर्मजोशी भरा माहौल देखने को मिलेगा।
शुक्रवार का दिन दोनों नेताओं के लिए काफी व्यस्त रहने वाला है। मोदी और पुतिन दिल्ली स्थित भारत मंडपम में भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और वहां संबोधन भी देंगे। इस 23वें शिखर सम्मेलन का मुख्य फोकस रक्षा संबंधों को और मजबूत करना, दोनों देशों के व्यापार को बाहरी दबावों से सुरक्षित रखना और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों में सहयोग की संभावनाएं तलाशना होगा। इसके अलावा पुतिन इंडिया-रूस बिजनेस फोरम में भी शामिल होंगे और शुक्रवार सुबह राजघाट भी जाएंगे। तय कार्यक्रम के अनुसार रूसी राष्ट्रपति एक रूसी सरकारी ब्रॉडकास्टर का नया इंडिया चैनल भी लॉन्च करेंगे। अंत में वह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा उनके सम्मान में आयोजित सरकारी भोज में शामिल होंगे और रात करीब साढ़े नौ बजे उनकी वापसी की उम्मीद है।
यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भू-राजनीतिक हालात काफी संवेदनशील हैं। अमेरिका यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की कोशिशों में लगा है और हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया था कि पुतिन भी युद्ध समाप्त करना चाहते हैं। उम्मीद है कि शिखर सम्मेलन में पुतिन प्रधानमंत्री मोदी को यूक्रेन विवाद सुलझाने के लिए अमेरिका की नई कोशिशों के बारे में जानकारी देंगे। भारत हमेशा से यह कहता आया है कि बातचीत और कूटनीति ही युद्ध को खत्म करने का एकमात्र रास्ता है।
इसके अलावा, यह दौरा ऐसे वक्त हो रहा है जब अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले सामानों पर 50 प्रतिशत का भारी टैरिफ लगाया है, जिसमें रूसी कच्चे तेल के उपयोग पर 25 प्रतिशत लेवी भी शामिल है। इस वजह से भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव देखा जा रहा है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बयान दिया है कि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण रूस से भारत को तेल की आपूर्ति में थोड़े समय के लिए कमी आ सकती है, लेकिन मास्को आपूर्ति बढ़ाने के लिए कदम उठा रहा है।
रूस भारत का एक पुराना और भरोसेमंद साथी रहा है। दोनों देशों के बीच एक व्यवस्था है जिसके तहत हर साल रिश्तों की समीक्षा के लिए वार्षिक शिखर सम्मेलन होता है। अब तक ऐसी 22 बैठकें हो चुकी हैं। पिछली बार पुतिन 2021 में दिल्ली आए थे, जबकि पिछले साल जुलाई में मोदी मास्को गए थे।
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