नई दिल्ली। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी से मुलाकात कर राज्य के लंबित पड़े 9,000 करोड़ रुपये से अधिक के फंड को तत्काल जारी करने की मांग की। यह बकाया राशि ग्रामीण विकास निधि (RDF) और बाजार शुल्क से संबंधित है, जिसके भुगतान में हो रही देरी से राज्य के ग्रामीण विकास कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इसके अलावा राज्य में अनाज के भंडारण संकट, आढ़तिया कमीशन और धान की खरीद से जुड़े कई अहम मुद्दे भी उठाए।
केंद्रीय मंत्री के आवास पर हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री मान ने जोर देकर कहा कि 2021-22 से RDF और 2022-23 से बाजार शुल्क का पूरा भुगतान केंद्र सरकार द्वारा नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि RDF के तहत 7,737.27 करोड़ रुपये और बाजार शुल्क के तहत 1,836.62 करोड़ रुपये केंद्र पर बकाया हैं। मान ने कहा कि RDF का उद्देश्य ग्रामीण सड़कों, मंडियों में भंडारण और अन्य कृषि बुनियादी ढांचे का विकास करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पंजाब सरकार ने केंद्र के दिशानिर्देशों के अनुसार ‘पंजाब ग्रामीण विकास अधिनियम, 1987’ में संशोधन भी कर दिया है, लेकिन इसके बावजूद फंड जारी नहीं किया गया है। इस वजह से मंडी बोर्ड और ग्रामीण विकास बोर्ड को कर्ज चुकाने और विकास कार्यों को जारी रखने में भारी कठिनाई हो रही है।
मुख्यमंत्री ने राज्य में ढके हुए भंडारण स्थान (कवर्ड स्टोरेज) की भारी कमी का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि भंडारण की कमी के कारण पिछले सीजन में चावल की डिलीवरी की समय सीमा बढ़ानी पड़ी थी, जिससे मिल मालिकों में नाराजगी थी। उन्होंने बताया कि राज्य से हर महीने औसतन केवल 6.67 लाख मीट्रिक टन (LMT) चावल ही बाहर भेजा जा रहा है, जबकि आगामी खरीद सीजन के लिए जगह बनाने के लिए हर महीने कम से कम 10-12 LMT चावल की ढुलाई आवश्यक है। उन्होंने मांग की कि गोदामों की कमी को दूर करने के लिए केंद्र एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाए।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री मान ने तीन अन्य महत्वपूर्ण मांगें रखीं:
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आढ़तिया कमीशन: उन्होंने कहा कि केंद्र ने 2020-21 में कमीशन को MSP से अलग कर दिया था और तब से दरों में कोई संशोधन नहीं किया गया है। उन्होंने आगामी सीजन के लिए इसे MSP के 2.5% के हिसाब से संशोधित करने की मांग की ताकि किसानों को कठिनाई न हो।
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धान की जल्दी खरीद: चूंकि राज्य में धान की रोपाई पहले हो गई है, इसलिए उन्होंने धान की खरीद भी 15 दिन पहले यानी 15 सितंबर से शुरू करने का आग्रह किया, ताकि किसान अपनी फसल समय पर और बिना किसी परेशानी के बेच सकें।
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खरीद वित्तपोषण: उन्होंने बताया कि केंद्र द्वारा खरीद संबंधी खर्चों (Procurement Incidentals) की कम प्रतिपूर्ति के कारण कैश क्रेडिट लिमिट (CCL) में सालाना 1200 करोड़ रुपये का अंतर आ रहा है, जिसका बोझ राज्य के खजाने पर पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने इन सभी मुद्दों पर किसानों और राज्य के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्री से तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।