शिमला। हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक बड़ी घोषणा की है। राज्य सरकार ने पहली बार प्राकृतिक खेती से उगाए गए दूध, गेहूं, मक्का और हल्दी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय कर दिया है। इस फैसले का उद्देश्य किसानों को रासायनिक मुक्त खेती के लिए प्रोत्साहित करना और उनकी उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना है।
मुख्यमंत्री ने यह घोषणा आज यहां राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Livelihood Mission) और हिमाचल प्रदेश ‘पशु एवं कृषि सखी संघ’ के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता करते हुए की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
किसानों को मिलेगा बढ़ा हुआ दाम
किसानों को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाने वाले इस फैसले के तहत, प्राकृतिक खेती से उत्पादित मक्के का MSP 30 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया गया है, जबकि गेहूं का MSP 40 रुपये से बढ़ाकर 60 रुपये प्रति किलोग्राम किया गया है। इस कदम से प्रदेश के लाखों किसानों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा और वे पारंपरिक खेती से हटकर प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।
इसके अलावा, हल्दी की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए, मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार जल्द ही ‘हिमाचली हल्दी’ ब्रांड नाम के तहत 90 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से कच्ची हल्दी की खरीद शुरू करेगी। यह न केवल किसानों को एक लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करेगा, बल्कि हिमाचल की हल्दी को एक विशिष्ट पहचान भी दिलाएगा। उन्होंने जानकारी दी कि प्रदेश में अब तक 1.58 लाख से अधिक किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ चुके हैं और उन्हें प्रमाणित भी किया जा चुका है, जो इस पहल की सफलता को दर्शाता है।
‘हिम-इरा’ पोर्टल से महिला स्वयं सहायता समूहों को मिल रहा बल
मुख्यमंत्री ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और मजबूती देने के लिए सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) द्वारा बनाए गए उत्पादों की बिक्री को सुविधाजनक बनाने के लिए लॉन्च किए गए ई-कॉमर्स पोर्टल ‘हिम-इरा’ का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि ‘हिम-इरा’ के उत्पाद अपनी गुणवत्ता के कारण राज्य के बाहर भी लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं, जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
बैठक के अंत में, मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि उनकी सभी जायज मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा और सरकार उनकी बेहतरी के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगी। यह घोषणा प्रदेश के कृषि क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है, जिससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिलेगा।
Pls read:Himachal: कांगड़ा की फिना सिंह सिंचाई परियोजना को मिली नई जान, केंद्र ने जारी किए 55.51 करोड़