निजीकरण के चलते ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में संविदा कर्मचारियों को बिना नोटिस दिए बाहर कर दिया जिसके बाद कर्मचारी धरने कल से धरने पर बैठे गये हैं।ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में संविदा कर्मचारियों में उस वक्त हड़कम्प मच गया जब बिना नोटिस दिए कम्पनी ने उनको काम पर आने से मना कर दिया,कल तक जो हाथ देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे सैनिकों के लिए हथियार बना रहे थे वो हाथ ही आज खाली हो गए हैं जो हाथ कल तक हथियार बना रहे थे वही हाथ अपने परिवार का पेट भरने के लिए अपनी मांगों को लेकर नारे लगाते उठ रहे हैं,जहाँ कल तक वो दिन रात कर जिस कम्पनी के लिए मेहनत कर रहे थे उस कम्पनी के दरवाजे पर आज उनके लिए बन्द हैं और निकाले गए कर्मचारी इसके लिए कम्पनी के साथ साथ मोदी सरकार को भी जिम्मेदार बता रहे हैं।
भारतीय सेना के लिए हथियार बनाने वाली ऑर्डिनेंस फैक्टरी ने बिना नोटिस दिए अपने यहाँ संविदा पर कार्यरत 100 से ज्यादा काम करने वालों को हटा दिया है जिसके बाद कर्मचारियों ने मैनेजमेंट के खिलाफ जमकर विरोध कर रहे हैं,कर्मचारियों का आरोप है कि कर्मचारियों को बिना बताए मैनेजमेंट ने उन्हें काम करने से मना कर दिया और मेनगेट के अंदर घुसने नहीं दिया।उसके बाद कल से ही कर्मचारी बाहर धरने पर बैठ गए, कर्मचारियों का कहना है कि अभी 2022 तक उनका टेंडर है पर फैक्टरी प्रबंधन ने बिना नोटिस दिए अचानक से उनको काम करने से मना कर दिया।
मैनेजमेंट द्वारा अचानक इस तरह के बर्ताव किए जाने पर काफी गुस्सा इन लोगों में है और कर्मचारियों को भी कुछ समझ में नहीं आ रहा कि आखिर फैक्ट्री प्रबंधन ने ऐसा कदम क्यों उठाया है। जबकि वह लंबे समय से फैक्ट्री में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। नाराज कर्मचारियों ने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के गेट पर प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और वहीं धरने पर बैठ गए। सूचना मिलने पर इंटक के अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट मौके पर पहुंचे और मैनेजमेंट के इस कदम को तानाशाही बताया। इंटक अध्यक्ष ने कहा कि हम संविदा कर्मचारियों के साथ हैं। अगर फैक्ट्री प्रबंधन कर्मचारियों को वापस नहीं लेता है तो एक बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा।
इन लोगों का आरोप है कि पैक्टरी प्रबंधन ने सभी श्रम कानूनों का उलंघन करते हुए दिवाली से पहले हम लोगों को बिना जानकारी के निकाल दिया।कर्मचारियों ने मोदी सरकार को भी घेरा उनका कहना है कि मोदी जी रोजगार देने की बात करते हैं पर रोजगार देना तो दूर ये फेक्ट्री भी बेच दी है ऐसे में फेक्ट्री प्रबंधन को कम से कम जब तक टेंडर हुआ है उनको काम करने देना चाहिए।मैनेजमेंट पिछले 48 घण्टों से धरने पर बैठे लोगों से बात तक करने को राजी नही है और जब तक उनकी मांगें नही मानी जाती तब तक उनका धरना शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा।