वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति की वैश्विक स्तर पर आलोचना हो रही है और इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका जताई जा रही है। हालाँकि, ट्रंप प्रशासन का दावा है कि टैरिफ लगाने के बाद 50 से अधिक देश अमेरिका से व्यापार वार्ता करने के लिए संपर्क में हैं।
व्हाइट हाउस के संपर्क में 50 से अधिक देश:
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट के अनुसार, पिछले बुधवार को टैरिफ की घोषणा के बाद से 50 से अधिक देशों ने अमेरिका के साथ बातचीत शुरू की है। बेसेंट ने एनबीसी न्यूज के ‘मीट द प्रेस’ कार्यक्रम में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने इससे अधिकतम लाभ अर्जित किया है। वहीं, वाणिज्य सचिव हॉवर्ड ल्यूटनिक का कहना है कि टैरिफ कई हफ्तों तक लागू रहेंगे।
कई देशों ने की बातचीत:
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ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने राष्ट्रपति ट्रंप से बात की और शून्य टैरिफ का समर्थन किया। उन्होंने व्यापारिक बाधाओं को दूर करने और ताइवान की कंपनियों द्वारा अमेरिका में निवेश बढ़ाने का आश्वासन दिया है।
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इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी अमेरिका से बातचीत की है और राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अपनी बैठक में इज़राइली वस्तुओं पर लगे 17% टैरिफ से राहत की मांग करने की बात कही है।
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भारत भी अमेरिका के साथ बातचीत कर रहा है और दोनों देश एक समझौते पर पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं। एक भारतीय अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि भारत 26% टैरिफ के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की योजना नहीं बना रहा है।
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इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने यूरोपीय संघ के सामानों पर लगे 20% टैरिफ से प्रभावित होने वाले व्यवसायों को बचाने का वादा किया है।
मंदी की आशंका:
ट्रंप की टैरिफ नीति के कारण अमेरिकी बाजार में उथल-पुथल मची हुई है। पिछले एक हफ्ते में अमेरिकी शेयर बाजार में लगभग 6 ट्रिलियन डॉलर की गिरावट आई है, जबकि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में कुल 9 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। इससे दुनियाभर में मंदी की आशंका बढ़ गई है। जेपी मॉर्गन के अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि टैरिफ के कारण अमेरिका की जीडीपी में 0.3% की गिरावट आ सकती है और बेरोजगारी दर 4.2% से बढ़कर 5.3% हो सकती है।
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