म्यांमार में पिछले शुक्रवार को आए विनाशकारी भूकंप से मरने वालों की संख्या 2700 से ज़्यादा हो गई है। चीन सेंट्रल टेलीविज़न के अनुसार, भूकंप में 2,719 लोगों की मौत हो गई है और 4,521 लोग घायल हुए हैं। लगभग 400 लोग अभी भी लापता हैं। म्यांमार के नेता मिन ह्लाइंग का अनुमान है कि मरने वालों की संख्या 3000 तक पहुँच सकती है।
भूकंप के झटके भारत और थाईलैंड में भी महसूस किए गए थे। म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले के पास सबसे ज़्यादा तबाही हुई है। राहत और बचाव कार्य जारी है और स्थानीय लोग भी मलबा हटाकर अपनों को ढूंढने में जुटे हैं। भीषण गर्मी के कारण शवों से दुर्गंध आ रही है, जिससे लोगों को साँस लेने में भी तकलीफ हो रही है। भूकंप के दौरान नमाज़ पढ़ रहे 700 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं और 60 से ज़्यादा मस्जिदें तबाह हो गई हैं।
सगाइंग शहर में भी कई मठों और इमारतों को भारी नुकसान पहुँचा है। उपग्रह चित्रों में आसपास की नदियों में दरारें दिखाई दे रही हैं, जो भूकंप के दौरान मिट्टी के अस्थिर होने का संकेत देती हैं। इस घटना को लिक्विफेक्शन कहते हैं, जिसमें ज़मीन पानी के साथ मिलकर कीचड़ में बदल जाती है और इमारतों को नुकसान पहुँचता है।
ISRO के वैज्ञानिकों के अनुसार, म्यांमार भारतीय और यूरेशियाई प्लेटों की सीमा पर स्थित है, जिसके कारण यहाँ अक्सर भूकंप आते हैं। भारतीय प्लेट हर साल लगभग 5 सेंटीमीटर उत्तर की ओर खिसकती है, जिससे भूकंपीय तनाव पैदा होता है। जब यह तनाव अचानक निकलता है, तो बड़े भूकंप आते हैं।
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