देहरादून: उत्तराखंड में बिजली दरों में प्रस्तावित वृद्धि को लेकर राज्य में व्यापक विरोध देखने को मिल रहा है। उपभोक्ताओं और उद्योगपतियों ने उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के समक्ष अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं। आयोग द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए वार्षिक टैरिफ निर्धारण हेतु आयोजित जनसुनवाई में प्रस्तावित वृद्धि का कड़ा विरोध किया गया।
उद्योगपतियों की चेतावनी:
उद्योगपतियों ने चेतावनी दी है कि अगर बिजली दरों में लगातार वृद्धि होती रही तो उन्हें राज्य से पलायन करना पड़ सकता है। उन्होंने ऊर्जा निगम पर बिजली चोरी रोकने में नाकाम रहने और उद्योगों पर भार डालने का आरोप लगाया है। निरंतर सप्लाई चार्ज समाप्त करने, ऑनलाइन सुविधाएं बढ़ाने और बड़े कनेक्शनों के लिए नीति बनाने की मांग की गई है।
उपभोक्ताओं की आपत्तियां:
उपभोक्ताओं ने भी प्रस्तावित दर वृद्धि का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा निगम उपभोक्ताओं को पर्याप्त सुविधाएं नहीं दे रहा है और बिजली कटौती की समस्या भी बनी हुई है। उपभोक्ताओं को बिल जमा करने के लिए धमकाने और जुर्माना लगाने की शिकायतें भी सामने आई हैं।
विद्युत संविदा एकता मंच की मांग:
विद्युत संविदा एकता मंच ने ऊर्जा निगमों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों को बिजली बिल में रियायत देने की मांग की है। मंच ने मांग की है कि संविदा कर्मचारियों को कम से कम 300 यूनिट बिजली मुफ्त या रियायती दरों पर दी जाए।
टैरिफ प्रस्ताव के मुख्य बिंदु:
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घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 8.72 प्रतिशत की वृद्धि
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गैर-घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 19.56 प्रतिशत की वृद्धि
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सरकारी/सार्वजनिक उपभोक्ताओं के लिए 22.9 प्रतिशत की वृद्धि
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प्राइवेट ट्यूबवेल के लिए 9.73 प्रतिशत की वृद्धि
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उद्योगों के लिए 19.01 प्रतिशत की वृद्धि
आयोग का निर्णय:
आयोग अब सभी पक्षों के सुझावों और आपत्तियों का अध्ययन करेगा और मार्च अंत तक टैरिफ निर्धारण पर अंतिम निर्णय लेगा। देखना होगा कि आयोग बढ़ती महंगाई के बीच उपभोक्ताओं और उद्योगों की चिंताओं को किस हद तक ध्यान में रखता है।
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