चंडीगढ़। पंजाब सरकार जल प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए कृतसंकल्पित है। इसी दिशा में भूमि और जल संरक्षण विभाग ने भूमिगत पाइपलाइन आधारित सिंचाई नेटवर्क के विस्तार के लिए 277 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू की हैं। इस महत्वाकांक्षी परियोजना से 40,000 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि को लाभ होगा।
भूमि और जल संरक्षण मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने बताया कि राज्य में जल संरक्षण के लिए कई प्रभावी परियोजनाएं चल रही हैं, जिनसे भूजल संरक्षण के साथ-साथ किसानों को भी सीधा लाभ मिल रहा है। 2024 में विभाग का मुख्य लक्ष्य कृषि उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ पानी का उचित उपयोग सुनिश्चित करना रहा है।
नाबार्ड की मदद से दो बड़ी परियोजनाएं शुरू
गोयल ने बताया कि नाबार्ड के वित्तीय सहयोग से 277.57 करोड़ रुपये की लागत से दो नई परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनसे 40,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार होगा।
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के पानी का सिंचाई में उपयोग
विभाग ने 18 भूमिगत पाइपलाइन आधारित सिंचाई परियोजनाएं शुरू की हैं, जिनमें सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले 67 एमएलडी शुद्ध पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाएगा. 50 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली इन परियोजनाओं से 2,233 हेक्टेयर से ज़्यादा रकबे को पानी मिलेगा.
860 किलोमीटर भूमिगत पाइपलाइन बिछाई गई
सिंचाई के लिए पानी को खेतों तक कुशलतापूर्वक पहुँचाने के लिए 860 किलोमीटर लंबी भूमिगत पाइपलाइन बिछाई गई है, जिससे 10,841 हेक्टेयर क्षेत्र को फायदा होगा. किसान समूहों को 90% और व्यक्तिगत किसानों को 50% सब्सिडी दी जा रही है।
ड्रिप और फव्वारा सिंचाई को बढ़ावा
जल संरक्षण के लिए 1,874 हेक्टेयर क्षेत्र को ड्रिप और फव्वारा सिंचाई प्रणाली के तहत लाया गया है, जिसके लिए 90% सब्सिडी दी जा रही है। भूजल के अत्यधिक दोहन को रोकने के लिए 27 गांवों में सोलर-लिफ्ट सिंचाई परियोजनाएं भी शुरू की गई हैं।
जल संग्रहण और पुनर्भरण पर ज़ोर
बारिश के पानी के संरक्षण, भू-कटाव और बाढ़ की रोकथाम के लिए उप-पहाड़ी इलाकों में 42 जल संग्रहण और पुनर्भरण ढांचे और चेक डैम बनाए गए हैं।
मंत्री गोयल ने कहा कि ये पहल सिंचाई की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ पंजाब के किसानों के लिए दीर्घकालिक जल सुरक्षा भी सुनिश्चित करेंगी।
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