AI चैटबॉट्स: भावनात्मक सहारा या रिश्तों में दरार? – The Hill News

AI चैटबॉट्स: भावनात्मक सहारा या रिश्तों में दरार?

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नई दिल्ली: आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में अकेलापन और तनाव बढ़ते जा रहे हैं। रिश्तों में सामंजस्य बिठाने की चुनौती के चलते दूरियां बढ़ रही हैं, और लोग भावनात्मक सहारे की तलाश में नए रास्ते खोज रहे हैं। इसी क्रम में AI चैटबॉट्स का चलन बढ़ रहा है, जो 24 घंटे उपलब्ध रहकर बिना किसी निर्णय के बात सुनने का दावा करते हैं। लेकिन क्या मशीनें वाकई इंसानी भावनाओं को समझ सकती हैं? क्या चैटबॉट्स पर अत्यधिक भरोसा करना सही है, या यह रिश्तों को और उलझा सकता है?

इस विषय पर नई दिल्ली के तुलसी हेल्थकेयर के सीईओ और वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. गौरव गुप्ता और लाइटहाउस काउंसलिंग सेंटर की सह-संस्थापक डॉ. गीता श्रॉफ ने अपनी राय साझा की है। उनका मानना है कि चैटबॉट्स कुछ हद तक मददगार हो सकते हैं, लेकिन यह समझना ज़रूरी है कि ये इंसानी भावनाओं की पूरी गहराई को नहीं समझ सकते। इसलिए, इनका इस्तेमाल समझदारी से करना चाहिए। आइए जानते हैं चैटबॉट्स के बढ़ते चलन का हमारी ज़िंदगी, रिश्तों और मानसिक स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ रहा है।

क्या AI चैटबॉट्स मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं?

डॉ. गौरव गुप्ता के अनुसार, मशीनें काम को तेज़ कर सकती हैं, लेकिन इंसानों जैसी सहानुभूति, समझ और देखभाल AI में नहीं हो सकती। फिर भी, AI चैटबॉट्स एक सुरक्षित और निर्णय-मुक्त माहौल प्रदान करके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार ला सकते हैं। ये अकेलेपन और तनाव को कम करने में भी मददगार हो सकते हैं।

भावनात्मक निर्भरता का रिश्तों पर प्रभाव:

AI चैटबॉट्स पर भावनात्मक रूप से निर्भर होना वास्तविक जीवन के रिश्तों में तनाव पैदा कर सकता है। यह गहरे और सार्थक संवाद को कम करता है और गलत उम्मीदें पैदा कर सकता है, जिससे रिश्तों में संवाद की कमी हो सकती है।

रिश्तों पर सलाह:

AI चैटबॉट्स से रिश्तों पर सलाह लेना आम हो रहा है, और इससे नए दृष्टिकोण मिल सकते हैं जो समस्याओं को सुलझाने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, अंतिम निर्णय हमेशा अपनी भावनाओं, रिश्तों की अहमियत और परिस्थिति को ध्यान में रखकर ही लेना चाहिए। विशेषज्ञों की सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है।

क्या चैटबॉट्स रिश्ते सुधार सकते हैं या बिगाड़ सकते हैं?

AI चैटबॉट्स सामान्य सलाह दे सकते हैं, जैसे बेहतर संवाद के तरीके। लेकिन ये भावनात्मक समझ नहीं रखते, इसलिए गंभीर मुद्दों पर इनकी सलाह नुकसानदायक हो सकती है और रिश्ते बिगड़ सकते हैं।

अकेलेपन का संकेत:

डॉ. गीता श्रॉफ के अनुसार, चैटबॉट्स पर निर्भरता अकेलेपन का संकेत हो सकती है, खासकर जब लोगों को अपने साथी से सहारा न मिले। चैटबॉट्स कुछ राहत दे सकते हैं, लेकिन अत्यधिक निर्भरता अधूरी भावनात्मक ज़रूरतों को दर्शाती है।

चैटबॉट्स और थेरेपी:

चैटबॉट्स मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक उपयोगी उपकरण हो सकते हैं, लेकिन ये किसी विशेषज्ञ के स्थान पर नहीं हैं। गंभीर समस्याओं के लिए किसी प्रशिक्षित थेरेपिस्ट या मनोचिकित्सक से परामर्श करना ज़रूरी है। चैटबॉट्स पर अत्यधिक निर्भरता पेशेवर मदद लेने में देरी का कारण बन सकती है.

डॉक्टरों और थेरेपिस्ट की भूमिका:

AI चैटबॉट्स की बढ़ती लोकप्रियता डॉक्टरों और थेरेपिस्ट के काम को प्रभावित कर सकती है। हालाँकि, ये मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच को आसान बना सकते हैं, लेकिन इंसानी स्पर्श और विशेषज्ञता का विकल्प नहीं बन सकते।

 

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