
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मणिपुर में हिंसा की जांच कर रहे आयोग को रिपोर्ट जमा करने की समयसीमा 20 मई, 2025 तक बढ़ा दी है। यह आयोग, जिसका गठन गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में 4 जून, 2023 को किया गया था, को पहले 20 नवंबर तक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी। मणिपुर में हिंसा में अब तक कम से कम 258 लोगों की जान जा चुकी है।
आयोग में सेवानिवृत्त IAS अधिकारी हिमांशु शेखर दास और सेवानिवृत्त IPS अधिकारी आलोक प्रभाकर भी शामिल हैं। इनकी जिम्मेदारी विभिन्न समुदायों के खिलाफ हुई हिंसा की जांच करना है। मणिपुर में हिंसा 3 मई, 2023 को शुरू हुई थी।
लापता व्यक्ति की तलाश: इधर, मणिपुर के लीमाखोंग कैंप से 25 नवंबर को लापता हुए 56 वर्षीय लैशराम की तलाश जारी है। मणिपुर पुलिस हेलीकॉप्टर, ड्रोन और सेना के कुत्तों की मदद से उनकी तलाश कर रही है, लेकिन अब तक कोई सुराग नहीं मिला है।

तीन बच्चों की हत्या का मामला: मणिपुर उच्च न्यायालय ने जिरीबाम जिले में तीन महिलाओं और तीन बच्चों की हत्या की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश दिया है। समिति को 11 दिसंबर को अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। इससे पहले राज्य महिला आयोग ने भी इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम बनाई थी।
बस सेवा पुनः आरंभ: मणिपुर सरकार ने कड़ी सुरक्षा के बीच इंफाल से पहाड़ी जिलों तक अंतर-जिला सार्वजनिक वाहन सेवा पुनः शुरू करने का फैसला किया है। यह राज्य में 19 महीनों में सार्वजनिक परिवहन सेवा को फिर से शुरू करने की दूसरी कोशिश है। राज्य में मैतेयी और कुकी समुदायों के बीच झड़पें जारी हैं।
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