
नई दिल्ली: भारत आज एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर करेगा, जिसके तहत वह पहली बार विदेश में किसी बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथों में लेगा। भारत, ईरान के चाबहार पोर्ट के प्रबंधन का जिम्मा 10 साल के लिए संभालेगा।
केंद्रीय बंदरगाह और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए सोमवार को ईरान के लिए रवाना हो गए हैं।
रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक: यह समझौता पाकिस्तान और चीन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। यह कराची और ग्वादर बंदरगाहों को दरकिनार करते हुए, ईरान के माध्यम से दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के बीच एक नया व्यापार मार्ग खोलेगा।
कनेक्टिविटी में बड़ा कदम: चाबहार पोर्ट अफ़ग़ानिस्तान, मध्य एशिया और यूरेशियन क्षेत्रों के बीच कनेक्टिविटी के लिहाज से काफी अहम साबित होगा।

भारत के लिए बड़ी उपलब्धि: चाबहार पोर्ट का संचालन भारत की समुद्री पहुँच में बढ़ोतरी का प्रतीक है। इससे पहले मई 2023 में भारत ने म्यांमार में सिटवे बंदरगाह का उद्घाटन किया था। दोनों ही परियोजनाओं का उद्देश्य क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करना है।
INSTC के तहत ट्रांजिट हब: भारत का लक्ष्य चाबहार बंदरगाह को अंतरराष्ट्रीय उत्तर–दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के तहत एक ट्रांजिट हब बनाना है। इससे भारत और मध्य एशिया के बीच माल की आवाजाही सस्ती होगी।
INSTC का महत्व: INSTC एक बहु–माध्यम परिवहन मार्ग है जो हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के माध्यम से कैस्पियन सागर और रूस में सेंट पीटर्सबर्ग के माध्यम से उत्तरी यूरोप तक जोड़ता है।
इस साल जनवरी में विदेश मंत्री एस जयशंकर और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने चाबहार बंदरगाह विकास योजना समेत कई समझौतों पर तेजी से काम करने पर चर्चा की थी।
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