- मुख्यमंत्री ने जाखड़, सुखबीर, बाजवा और वडि़ंग को याद करवाया
- लोगों को गुमराह करने के लिए बेशर्मी से नौटंकियाँ कर रहे हैं विरोधी नेता
- सतलुज के पानी की बूँद भी किसी और को न देने की वचनबद्धता दोहराई
चंडीगढ़, 11 अक्तूबर:
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज भाजपा के राज्य प्रधान सुनील जाखड़, शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल, विरोधी पक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा और कांग्रेस के राज्य प्रधान अमरिन्दर सिंह राजा वडि़ंग को चुनौती देते हुए कहा कि सतलुज-यमुना लिंक नहर के मसले पर मगरमच्छ के आँसू बहाने से पहले वह अपने पुरखों द्वारा पंजाब के साथ की गई गद्दारी को ज़रूर याद रखें।
मुख्यमंत्री ने राज्य के लोगों को गुमराह करने के लिए नौटंकी करने वाले इन नेताओं पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह बात सारा जग जानता है कि इन नेताओं के पुरखों ने सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण का ना-माफी योग्य गुनाह करके पंजाब और यहाँ की नौजवान पीढ़ी के रास्ते में काँटे बीजे हुए हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि अपने निजी लाभ के ख़ातिर इन मतलबखोर राजनीतिज्ञों ने इस नहर के निर्माण के लिए सहमति, योजनाबंदी और लागू किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि जब समकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कपूरी में एस.वाई.एल. नहर के निर्माण के लिए टक्क लगाने की रस्म अदा की थी तो उस मौके पर कैप्टन अमरिन्दर सिंह के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री बलराम जाखड़ (सुनील जाखड़ के पिता) भी उपस्थित थे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवी लाल ने इस नहर के सर्वे की इजाज़त देने के लिए उस मौके पर पंजाब के अपने समकक्ष प्रकाश सिंह बादल के लिए प्रशंसा भरे श्ब्द गाए थे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह नेता राज्य के साथ कमाए गए द्रोह के लिए जि़म्मेदार हैं और पंजाबियों की पीठ में छुरा घौंपने वाले इन नेताओं को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा।
मुख्यमंत्री ने सुखबीर सिंह बादल को एक नवंबर को होने वाली बहस में गुरूग्राम (गुडग़ाओं) वाले ओबराए होटल के दस्तावेज़ भी लाने के लिए ललकारा। उन्होंने इन नेताओं को बहस में समझौते के कागज़-पत्र लाने की चुनौती दी, जो समझौते उनके पुरखों ने सत्ता की कुर्सी के साथ चिपके रहने के लिए पंजाबियों को धोखा देकर किए थे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इस मुद्दे पर लोगों के सामने दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा कि बलिदानों की आड़ में यह नेता किस तरह गद्दारी करते रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने विरोधी नेताओं को सामने होते हुए कहा, ‘‘पंजाब के पानियों का आप फिक्र न करो क्योंकि मेरे पिता बचपन में ही मुझे अपने खेतों का पानी बचाने का जि़म्मा सौंप देते थे। परमात्मा की मेहर और लोगों के विश्वास से मेरी ड्यूटी अब सतलुज नदी का पानी बचाने के लिए लगी हुई है, जिसको मैं जी-जान से निभाऊंगा।’’ उन्होंने कहा कि पंजाब के पास किसी अन्य राज्य को देने के लिए एक बूँद भी अतिरिक्त पानी नहीं है और वह हर हाल में पानियों की रक्षा करेंगे।