देहरा। तत्कालीन परागपुर विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रहे योगराज ने पत्नी सहित मंगलवार को काग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया। योगराज को पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह का काफी करीबी माना जाता रहा है। कभी प्रदेश में शांता कुमार की सरकार गिराने वाले योगराज इन दिनों खुद को काग्रेस में हाशिये पर महसूस कर रहे थे।
योगराज 1977 में जनता पार्टी से विधायक चुने गए थे। 1980 में विधायक रहते हुए वह काग्रेस में शामिल हो गए थे। इस वजह से शाता कुमार की सरकार गिर गई थी। इसके बाद जुब्बल कोटखाई के विधायक रामलाल ठाकुर मुख्यमंत्री बने थे। योगराज ने राजनीतिक जीवन में 10 बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और तीन बार परागपुर से विधायक चुने गए। वह एक बार जनता दल, पाच बार काग्रेस और चार बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में किस्मत आजमा चुके हैं।
परिसीमन के बाद 2012 में परागपुर हलके के वजूद में न रहने के बाद योगराज देहरा हलके का हिस्सा बने। उन्होंने देहरा से भी किस्मत आजमाई, लेकिन हार का मुंह देखना पड़ा। कुछ दिन पहले देहरा में मीडिया से बातचीत में योगराज ने कहा था कि वह काफी समय से खुद को पार्टी में हाशिये पर महसूस कर रहे हैं। उसी समय उन्होंने संकेत दे दिया था कि वह किसी भी पार्टी से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। वह सार्वजनिक रूप से खुद को, पत्नी मधु शर्मा और बेटे को टिकट का दावेदार बता चुके हैं।