नई दिल्ली. चीन अपनी गिरती हुई जन्म दर और सिकुड़ती जनसंख्या को लेकर इस कदर चिंतित है कि उसने एक बेहद चौंकाने वाला फैसला लिया है। दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देशों में शुमार चीन ने अब परिवार नियोजन के साधनों को महंगा करने की योजना बनाई है। करीब 32 सालों के बाद चीन कंडोम और अन्य गर्भनिरोधक उत्पादों पर टैक्स लगाने जा रहा है। चीनी सरकार के इस फैसले के तहत जनवरी 2026 से कंडोम समेत सभी तरह के गर्भनिरोधक उत्पादों पर 13 प्रतिशत वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) लगाया जाएगा।
चीन द्वारा उठाए गए इस कदम को एक बड़े नीतिगत बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल, चीन में जनसंख्या दर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, जिससे वहां का प्रशासन परेशान है। इसी समस्या से निपटने और जन्म-दर को बढ़ावा देने के लिए यह निर्णय लिया गया है। सरकार का तर्क और मानना है कि अगर गर्भनिरोधक उत्पाद महंगे होंगे, तो लोग इनका इस्तेमाल कम करेंगे, जिससे संभवतः ज्यादा बच्चे पैदा होंगे और गिरती जन्म दर को संभाला जा सकेगा।
इतिहास पर नजर डालें तो चीन की यह नई नीति उसके पुराने रुख से बिल्कुल उलट है। साल 1993 में जब चीन में जनसंख्या विस्फोट का डर था, तब वहां सख्त ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ लागू की गई थी। उस दौरान जन्म नियंत्रण को बढ़ावा देने के लिए कंडोम और अन्य गर्भनिरोधक उत्पादों को टैक्स फ्री रखा गया था ताकि लोग इनका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। लेकिन अब परिस्थितियां पूरी तरह बदल चुकी हैं। तीन दशक बाद अब चीनी नागरिकों को ये उत्पाद खरीदने के लिए अपनी जेब ढीली करनी होगी और 13 प्रतिशत टैक्स चुकाना होगा।
इस फैसले के पीछे के आंकड़े काफी चिंताजनक हैं। साल 2024 में चीन की जनसंख्या में लगातार तीसरे वर्ष गिरावट देखने को मिली है। राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा जनवरी में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस एशियाई विशाल देश में लोगों की कुल संख्या 2023 के 1.409 बिलियन के मुकाबले 2024 में 1.39 मिलियन घटकर 1.408 बिलियन रह जाएगी। भविष्य के अनुमान और भी डराने वाले हैं। संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, चीन में प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं (15 से 49 वर्ष) की संख्या सदी के अंत तक दो-तिहाई से अधिक घटकर 100 मिलियन से भी कम हो जाएगी।
एक तरफ जहां सरकार ने गर्भनिरोधक उत्पादों पर टैक्स लगाकर जनसंख्या नियंत्रण को हतोत्साहित करने का प्रयास किया है, वहीं दूसरी तरफ परिवार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन भी दिए हैं। जन्मदर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने बच्चों की देखभाल और परिवार से जुड़ी कई सेवाओं को टैक्स के दायरे से बाहर रखा है। इसमें नर्सरी, किंडरगार्टन, बुजुर्गों की देखभाल, विकलांगों की सेवा और शादी से जुड़ी सेवाओं को टैक्स से छूट दी गई है, ताकि लोग परिवार शुरू करने और उसे बढ़ाने के लिए प्रेरित हो सकें।
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