Pakistan: पाकिस्तान में अठारह सौ से अधिक मंदिर और गुरुद्वारे वीरान केवल सैंतीस में ही हो रही पूजा – The Hill News

Pakistan: पाकिस्तान में अठारह सौ से अधिक मंदिर और गुरुद्वारे वीरान केवल सैंतीस में ही हो रही पूजा

नई दिल्ली. पाकिस्तान अपनी वैश्विक छवि सुधारने के लिए भले ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह दावा करता रहा हो कि वहां अल्पसंख्यक समुदाय पूरी तरह सुरक्षित है और उनकी धार्मिक भावनाओं का ख्याल रखा जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। हाल ही में सामने आई एक संसदीय रिपोर्ट ने पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार के इन दावों की पोल खोलकर रख दी है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है और आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं।

अल्पसंख्यक कॉकस की संसदीय समिति के समक्ष प्रस्तुत की गई एक ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान में मौजूद 1867 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से अब केवल 37 ही ऐसे बचे हैं जो चालू हालत में हैं। यानी हजारों की संख्या में ऐतिहासिक धार्मिक स्थल या तो बंद पड़े हैं या फिर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। यह रिपोर्ट पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की धरोहरों के प्रति बरती जा रही घोर लापरवाही की एक गंभीर वास्तविकता को उजागर करती है।

पाकिस्तानी अखबार ‘डॉन’ की एक रिपोर्ट में भी इस बदहाली के कारणों पर प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सदियों पुराने ये पूजा स्थल खराब सरकारी रखरखाव का शिकार हुए हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान में हिंदू और सिख समुदाय की लगातार घटती आबादी भी इन धर्मस्थलों के वीरान होने का एक बड़ा कारण बताई गई है। सरकार की अनदेखी के चलते ऐतिहासिक महत्व रखने वाले ये स्थल अब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा के लिए आयोजित समिति के पहले सत्र के दौरान संयोजक सीनेटर दानेश कुमार ने कड़े शब्दों में अपनी बात रखी। उन्होंने संकल्प लिया कि कॉकस अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए किए गए संवैधानिक वादों को केवल कागजों तक सीमित नहीं रहने देगा, बल्कि उसे मूर्त रूप देने का प्रयास करेगा। दानेश कुमार ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान के अल्पसंख्यक नागरिक संवैधानिक गारंटियों के व्यावहारिक कार्यान्वयन के हकदार हैं। उन्होंने अल्पसंख्यकों के लिए न्याय और समानता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तत्काल प्रभाव से नीतिगत सुधारों की मांग की है।

बैठक के दौरान डॉ. रमेश कुमार वंकवानी ने धार्मिक स्थलों के प्रबंधन को लेकर एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया। उन्होंने मांग की कि ईटीपीबी (इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड) का नेतृत्व किसी गैर-मुस्लिम व्यक्ति को सौंपा जाना चाहिए। अपने तर्क के समर्थन में उन्होंने कहा कि जब तक इस विभाग की कमान किसी अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति के हाथ में नहीं होगी, तब तक उपेक्षित धार्मिक संपत्तियों का जीर्णोद्धार पूरी ईमानदारी से नहीं किया जा सकेगा।

संसदीय समिति ने माना कि ये स्थल न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि पाकिस्तान के बहुसांस्कृतिक अतीत का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए समिति ने इन धरोहर स्थलों की सुरक्षा के लिए सरकार से तत्काल कदम उठाने की सिफारिश की है, ताकि बचे हुए पूजा स्थलों को संरक्षित किया जा सके।

 

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