नई दिल्ली
रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से जारी विनाशकारी युद्ध को समाप्त करने की दिशा में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की कोशिशों को एक बार फिर तगड़ा झटका लगा है। दुनिया की नजरें इस बात पर टिकी थीं कि क्या ट्रंप की मध्यस्थता से यह भीषण युद्ध रुक पाएगा, लेकिन फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा। ट्रंप ने शांति समझौते की जमीन तैयार करने के लिए अपने बेहद करीबी दूतों को रूस भेजा था, लेकिन घंटों चली बातचीत के बाद भी नतीजा सिफर ही रहा। खबर है कि यूक्रेन के कुछ इलाकों और क्षेत्रीय नियंत्रण को लेकर दोनों पक्षों में सहमति नहीं बन पाई, जिसके चलते यह महत्वपूर्ण बैठक किसी भी नतीजे तक नहीं पहुंच सकी।
ट्रंप के दामाद और पुतिन के बीच मैराथन बैठक
शांति बहाली की उम्मीद में डोनल्ड ट्रंप ने अपने दो सबसे भरोसेमंद लोगों को मास्को भेजा था। इनमें उनके दामाद जेरेड कुशनर और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ शामिल थे। रूस के राष्ट्रपति भवन ‘क्रेमलिन’ में व्लादिमीर पुतिन के साथ इन अमेरिकी दूतों की मुलाकात हुई। क्रेमलिन के सहयोगी यूरी उशाकोव ने जानकारी दी कि यह बैठक मंगलवार देर रात हुई थी।
सबसे खास बात यह रही कि यह कोई रस्मी मुलाकात नहीं थी। पुतिन और ट्रंप के दूतों के बीच करीब पांच घंटे तक लंबी चर्चा हुई। इसके बावजूद अमेरिका को यूक्रेन में युद्ध विराम या शांति समझौते को लेकर कोई सफलता हाथ नहीं लगी। दोनों पक्षों ने अमेरिकी प्रस्तावों की व्यापक रूपरेखा पर बात तो की, लेकिन किसी ठोस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो सके।
क्यों विफल रही बातचीत
बैठक के बाद सामने आई जानकारियों के मुताबिक, बातचीत का माहौल तो सकारात्मक था, लेकिन पेंच कई मुद्दों पर फंसा रहा। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट का हवाला देते हुए रूसी अधिकारी उशाकोव ने बताया कि यह चर्चा बहुत उपयोगी, रचनात्मक और ठोस थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह पांच मिनट की नहीं, बल्कि पूरे पांच घंटे की गंभीर वार्ता थी।
बातचीत के दौरान व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका द्वारा भेजे गए चार प्रमुख प्रस्तावों पर बिंदुवार चर्चा की। बताया जा रहा है कि पुतिन ने इनमें से कुछ बिंदुओं पर अपनी सहमति जताई, लेकिन कुछ अन्य प्रस्तावों की उन्होंने कड़ी आलोचना भी की। बैठक में पुतिन ने डोनल्ड ट्रंप के लिए कुछ महत्वपूर्ण संकेत दिए और उन्हें व्यक्तिगत शुभकामनाएं भी भेजीं। हालांकि, दोनों ही पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि बैठक की बारीकियों और संवेदनशील मुद्दों को मीडिया के सामने उजागर नहीं किया जाएगा।
क्षेत्रीय विवाद बना सबसे बड़ा रोड़ा
इस पूरी कवायद के विफल होने के पीछे सबसे बड़ा कारण ‘क्षेत्रीय समस्या’ रही। उशाकोव ने पुष्टि की कि बातचीत के दौरान क्षेत्रीय नियंत्रण पर लंबी बहस हुई। दरअसल, रूस डोनबास के पूरे इलाके पर अपना दावा करता है और इसे अपनी संप्रभुता का हिस्सा मानता है। वहीं, जमीनी हकीकत यह है कि डोनबास का लगभग 5,000 वर्ग किलोमीटर का इलाका अभी भी यूक्रेन के नियंत्रण में है।
रूस चाहता है कि शांति समझौते के तहत इन इलाकों पर उसकी दावेदारी स्वीकार की जाए, जबकि दुनिया के लगभग सभी देश डोनबास को यूक्रेन का अभिन्न अंग मानते हैं। यही वह मुद्दा था जिस पर पेंच फंसा और बात आगे नहीं बढ़ पाई। रूसी पक्ष का कहना है कि वाशिंगटन और मास्को दोनों ही जगहों पर अभी बहुत काम किया जाना बाकी है। फिलहाल दोनों पक्षों ने संपर्क बनाए रखने पर सहमति जताई है, लेकिन युद्ध रुकने के आसार अभी नजर नहीं आ रहे हैं।
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