चंडीगढ़. खालसा पंथ की जन्मस्थली और पंजाब के ऐतिहासिक नगर आनंदपुर साहिब में विकास और विरासत को सहेजने का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। साल 1699 में दसवें गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा पंथ की स्थापना के गवाह रहे इस पवित्र शहर को अब पंजाब सरकार एक वैश्विक पहचान दिलाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में राज्य सरकार यहां की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों का कायाकल्प करने के लिए दो बड़ी परियोजनाओं पर काम कर रही है। इनमें विरासती मार्ग का निर्माण और शहीद बाबा जीवन सिंह यानी भाई जैता के स्मारक का विकास शामिल है।
सरकार की योजना के मुताबिक तख्त केसगढ़ साहिब की ओर जाने वाले रास्ते को एक भव्य विरासती मार्ग के रूप में विकसित किया जा रहा है। लगभग 25 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रहे इस प्रोजेक्ट में पूरे रास्ते को सफेद संगमरमर से सजाया जाएगा। करीब 580 मीटर लंबे इस मार्ग पर सिर्फ सड़क नहीं बनेगी, बल्कि यह श्रद्धालुओं के लिए एक ऐतिहासिक अनुभव होगा। इस मार्ग को कलात्मक पेंटिंग और विशेष स्थापत्य कला से सुसज्जित किया जाएगा ताकि यहां आने वाले संगत को चलते-चलते खालसा पंथ के गौरवशाली इतिहास और यात्रा की झलक मिल सके। मुख्यमंत्री भगवंत मान का मानना है कि यह प्रयास आनंदपुर साहिब को दुनिया भर में धार्मिक पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बनाने में मील का पत्थर साबित होगा।
विरासती मार्ग के अलावा सरकार ने एक और अहम परियोजना को जनता को समर्पित किया है। करीब 29 करोड़ रुपये की लागत से शहीद बाबा जीवन सिंह (भाई जैता) का भव्य स्मारक तैयार किया गया है। यह स्मारक आधुनिक तकनीक और इतिहास का बेजोड़ संगम है। इसमें कुल पांच विशेष गैलरियां बनाई गई हैं। इन गैलरियों में भाई जैता के अदम्य साहस, उनके जीवन और नौवें गुरु तेग बहादुर की शहादत से जुड़ी घटनाओं को बेहद भावनात्मक और सजीव तरीके से प्रदर्शित किया गया है।
स्मारक का सबसे मुख्य आकर्षण वह दृश्य है जिसमें भाई जैता द्वारा गुरु तेग बहादुर का पवित्र शीश दिल्ली के चांदनी चौक से आनंदपुर साहिब लाने की घटना को दर्शाया गया है। यह वही ऐतिहासिक क्षण था जब गुरु गोबिंद सिंह ने उन्हें गले लगाकर “रंगरेटा गुरु का बेटा” की उपाधि दी थी। इस स्मारक के जरिए नई पीढ़ी को उस महान बलिदान से रूबरू कराने का प्रयास किया गया है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इन परियोजनाओं के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि आनंदपुर साहिब की धरती ने न सिर्फ पंजाब बल्कि पूरे भारत के इतिहास को एक नई दिशा दी है। उन्होंने कहा कि यह सरकार का सौभाग्य है कि उन्हें इस महान विरासत को संवारने का मौका मिला है। इन दोनों परियोजनाओं का उद्देश्य सिर्फ पर्यटन बढ़ाना नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए गौरव और प्रेरणा की एक अमर धरोहर तैयार करना है ताकि वे अपनी जड़ों और इतिहास पर गर्व कर सकें।
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