Uttarakhand: हरिद्वार में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बड़ा ऐलान संस्कृत के विकास के लिए बनेगा उच्च स्तरीय आयोग – The Hill News

Uttarakhand: हरिद्वार में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बड़ा ऐलान संस्कृत के विकास के लिए बनेगा उच्च स्तरीय आयोग

हरिद्वार. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को धर्मनगरी हरिद्वार में संस्कृत भाषा को लेकर एक बड़ी और महत्वपूर्ण घोषणा की है। यहां आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि राज्य में संस्कृत भाषा के उत्थान और समग्र विकास के लिए सरकार जल्द ही एक ‘उच्च स्तरीय आयोग’ का गठन करेगी। यह आयोग संस्कृत को आम बोलचाल की भाषा बनाने और उसे रोजगार से जोड़ने की दिशा में ठोस कार्ययोजना तैयार करेगा।

दो दिवसीय इस सम्मेलन का विषय ‘भारतीय ज्ञान परंपरा और वैश्विक ज्ञान के विकास में संस्कृत का योगदान’ रखा गया था। देश-विदेश से आए विद्वानों और शोधार्थियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और विज्ञान का मूल आधार है। उन्होंने अपने स्कूली दिनों को याद करते हुए बताया कि उन्होंने कक्षा नौ तक संस्कृत का अध्ययन किया था और उस दौरान सीखे गए श्लोक और व्याकरण आज भी उनके जीवन का हिस्सा हैं। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि वेद, पुराण, उपनिषद से लेकर आयुर्वेद और खगोलशास्त्र तक सब कुछ संस्कृत में रचा गया है, जिसने भारत को विश्व गुरु बनाने में अहम भूमिका निभाई।

सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार द्वारा संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही योजनाओं का भी विस्तार से जिक्र किया। उन्होंने बताया कि देवभूमि उत्तराखंड में संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। छात्राओं को प्रोत्साहित करने के लिए ‘गार्गी संस्कृत बालिका छात्रवृत्ति योजना’ चलाई जा रही है जिसके तहत छात्राओं को प्रतिमाह आर्थिक सहायता दी जाती है। इसके अलावा एससी और एसटी वर्ग के छात्रों के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर छात्रवृत्ति योजना और मेधावी छात्रों के लिए प्रतिभा सम्मान योजना के तहत नकद पुरस्कार दिए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने एक और महत्वाकांक्षी पहल के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रदेश के प्रत्येक जिले में एक ‘आदर्श संस्कृत ग्राम’ स्थापित करने का संकल्प लिया है। इसका उद्देश्य यह है कि कम से कम इन गांवों में लोग अपनी दिनचर्या में संस्कृत भाषा का प्रयोग करें। उन्होंने कर्नाटक के मट्टूर गांव का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर वहां लोग संस्कृत में बात कर सकते हैं तो देवभूमि उत्तराखंड में ऐसा क्यों नहीं हो सकता।

धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में संस्कृत को आधुनिक और व्यावहारिक भाषा के रूप में स्थापित करने पर जोर दिया गया है। अब तकनीक के जरिए ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप्स की मदद से संस्कृत को नई पीढ़ी तक पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में संस्कृत केवल कर्मकांड और पूजा-पाठ की भाषा बनकर नहीं रह जाएगी बल्कि यह विज्ञान और तकनीक की भाषा भी बनेगी।

इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, विधायक आदेश चौहान, प्रदीप बत्रा, स्वामी यतीश्वरानंद, विदेश सचिव मीना मल्होत्रा और संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश चंद्र शास्त्री समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे। मुख्यमंत्री का यह ऐलान संस्कृत प्रेमियों और विद्वानों के लिए एक बड़ी सौगात माना जा रहा है।

 

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