लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार किसानों के हित में एक बड़ा और महत्वपूर्ण सुधारात्मक कदम उठाने जा रही है। सरकार भूमि की चकबंदी के दौरान जमीन की कीमत तय करने की पुरानी और जटिल व्यवस्था को बदलने की तैयारी कर रही है। नई व्यवस्था के तहत अब चकबंदी प्रक्रिया में जमीन का विनिमय दर या कीमत का निर्धारण ‘सर्किल रेट’ के आधार पर किया जाएगा। इस बदलाव का सीधा मकसद चकबंदी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मनमानी को खत्म करना और पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना है।
अब तक चली आ रही व्यवस्था में चकबंदी के दौरान जमीन की कीमत का निर्धारण वहां के अधिकारी और कर्मचारी भूमि की उपजाऊ क्षमता के आधार पर अपने विवेक से करते थे। यह प्रक्रिया पूरी तरह से व्यक्तिपरक थी, जिससे अक्सर किसानों को नुकसान उठाना पड़ता था। कई बार एक ही तरह की जमीन की अलग-अलग कीमत लगा दी जाती थी, जिससे भ्रष्टाचार और पक्षपात की शिकायतें आती थीं। अक्सर किसान शिकायत करते थे कि सड़क किनारे की उनकी बेशकीमती जमीन की कीमत कम आंकी गई जबकि किसी दूसरे को ज्यादा फायदा पहुंचा दिया गया। लेकिन अब सरकार इस व्यवस्था को पूरी तरह खत्म करने जा रही है।
प्रस्तावित नई व्यवस्था में सर्किल रेट को आधार बनाया जाएगा। गौर करने वाली बात है कि जिलों में सड़कों के नेटवर्क, लोकेशन और जमीन की उपयोगिता के आधार पर प्रशासन पहले से ही सर्किल रेट तय करता है। जब चकबंदी में इसी रेट को मानक माना जाएगा, तो किसान खुद भी अपनी जमीन की कीमत का सही आकलन कर सकेंगे। इससे न केवल विवाद कम होंगे बल्कि किसानों को उनकी जमीन का उचित हक भी मिलेगा। इस बदलाव के लिए चकबंदी आयुक्त कार्यालय द्वारा एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। जैसे ही इस प्रस्ताव को शासन की मंजूरी मिलेगी, इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा।
मनरेगा में महिलाओं और दिव्यांगों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर
दूसरी ओर ग्रामीण विकास को लेकर भी सरकार सक्रिय है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा के तहत कार्यों में महिला मेटों और दिव्यांगजनों की भागीदारी बढ़ाने के कड़े निर्देश दिए हैं। उन्होंने ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा करते हुए कहा कि समाज के इन वर्गों को सशक्त बनाना सरकार की प्राथमिकता है।
आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान वित्तीय वर्ष में अब तक प्रदेश में 31,234 महिला मेटों और 16,896 दिव्यांगजनों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया गया है। उपमुख्यमंत्री ने इस संख्या को और बढ़ाने पर जोर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें कम से कम 100 दिनों का रोजगार सुनिश्चित कराया जाए। इस संबंध में ग्राम्य विकास विभाग के आयुक्त जीएस प्रियदर्शी ने सभी संबंधित अधिकारियों को लक्ष्य पूरा करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। सरकार की कोशिश है कि मनरेगा के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं का योगदान बढ़ाया जाए।
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