हिंदी सिनेमा जगत के लिए यह एक अत्यंत दुखद और अपूरणीय क्षति का क्षण है। फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से वर्ष 1960 में अपने अभिनय सफर की शुरुआत करने वाले महान अभिनेता धर्मेंद्र ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। करीब 65 वर्षों तक सिल्वर स्क्रीन पर राज करने वाले और दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बनाने वाले धर्मेंद्र ने 24 नवंबर 2025 को अंतिम सांस ली। उनके निधन के साथ ही बॉलीवुड के एक सुनहरे और गौरवशाली युग का अंत हो गया है। धर्मेंद्र केवल एक अभिनेता नहीं थे, बल्कि वह भारतीय सिनेमा की एक ऐसी धरोहर थे जिन्होंने अपनी अदायगी से पीढ़ियों का मनोरंजन किया।
धर्मेंद्र के निधन के बाद सिनेमा जगत में उनकी विरासत और उनके योगदान की चर्चा हर तरफ हो रही है। एक सफल अभिनेता के रूप में उन्होंने जो मुकाम हासिल किया, वह विरले ही किसी को नसीब होता है। हालांकि, उनके व्यक्तित्व का एक पहलू ऐसा भी था जिससे बहुत कम लोग वाकिफ थे। पूरी दुनिया उन्हें सुपरस्टार मानती थी, लेकिन धर्मेंद्र ने कभी भी खुद को इंडस्ट्री का ‘नंबर वन’ अभिनेता नहीं माना। उनके इस नजरिए के पीछे की वजह बेहद दिलचस्प और भावुक करने वाली है। इस बात का खुलासा उन्होंने 1986 में दिए गए एक मीडिया साक्षात्कार में किया था, जो आज उनके जाने के बाद फिर से सुर्खियों में है।
साक्षात्कार के दौरान धर्मेंद्र ने बताया था कि आखिर क्यों वह स्टारडम की रेस में खुद को सबसे आगे नहीं मानते थे। उस समय तक उनका करियर दो दशकों से अधिक का सफर तय कर चुका था और वे ‘शोले’, ‘यादों की बारात’ और ‘धर्म-वीर’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में दे चुके थे। जब उनसे नंबर वन होने के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने बहुत ही सादगी से जवाब दिया कि उन्हें दर्शकों का बेशुमार प्यार मिला है, लेकिन वह कभी नंबर वन नहीं बन पाए। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा था कि उन्होंने अभिनय को कभी एक पेशे या ‘प्रोफेशन’ के तौर पर नहीं देखा। उनके लिए फिल्मों में काम करना एक सपने के सच होने जैसा था। उनका मानना था कि एक सुपरस्टार या नंबर वन बनने के लिए व्यक्ति को बहुत अधिक महत्वाकांक्षी होना पड़ता है, और वह खुद कभी इतने महत्वाकांक्षी नहीं रहे।
धर्मेंद्र का यह बड़प्पन और सादगी ही उन्हें अन्य कलाकारों से अलग बनाती थी। उन्होंने बताया था कि स्कूली दिनों में वह पढ़ाई में अव्वल रहते थे और टॉपर हुआ करते थे। लेकिन सिनेमा के प्रति उनका आकर्षण इतना गहरा था कि उन्होंने पढ़ाई छोड़कर अभिनय की दुनिया में कदम रखना उचित समझा। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह किस नंबर पर हैं, उन्होंने बस अपने काम से प्यार किया।
उनके निधन की खबर ने न केवल उनके प्रशंसकों को बल्कि उनके सह-कलाकारों को भी गहरे सदमे में डाल दिया है। विशेष रूप से अमिताभ बच्चन, जिनके साथ धर्मेंद्र की जोड़ी ‘जय और वीरू’ के रूप में अमर हो गई है, इस खबर से बुरी तरह टूट गए हैं। आधी रात को अपने साथी ‘वीरू’ को याद करते हुए अमिताभ भावुक हो गए।
धर्मेंद्र का 65 साल का लंबा करियर और 300 से अधिक फिल्में इस बात की गवाह हैं कि भले ही उन्होंने खुद को नंबर वन न माना हो, लेकिन उनके काम ने उन्हें दर्शकों की नजरों में हमेशा सर्वोच्च स्थान पर रखा। 1960 से लेकर 2025 तक का उनका सफर भारतीय सिनेमा के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।
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