हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी रास्तों पर सफर करना जितना रोमांचक होता है, कई बार यह उतना ही जोखिम भरा भी साबित हो सकता है। इसी जोखिम का एक जीता जागता उदाहरण मंगलवार की सुबह हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में देखने को मिला। यहाँ हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) की एक बस के साथ बड़ा हादसा होते-होते रह गया। सराची से मंडी की ओर जा रही एचआरटीसी की एक बस पर अचानक पहाड़ी से एक विशालकाय पेड़ आ गिरा। गनीमत यह रही कि इस भयानक दुर्घटना में किसी की जान नहीं गई और एक बड़ा हादसा टल गया।
घटनाक्रम के अनुसार, मंगलवार सुबह करीब सवा नौ बजे एचआरटीसी की बस संख्या एचपी 65-6125 अपनी नियमित सेवा पर थी। बस में लगभग 40 सवारियां मौजूद थीं जो अपने गंतव्य की ओर जा रही थीं। बस अभी थुनाग क्षेत्र के चैड़ा खड्ड के समीप पहुंची ही थी कि अचानक पहाड़ी के ऊपर से एक भारी-भरकम पेड़ टूटकर सीधे बस के अगले हिस्से पर आ गिरा। यह मंजर इतना भयानक था कि बस के अंदर बैठे यात्रियों की सांसें अटक गईं। पेड़ गिरने की गति और तीव्रता इतनी अधिक थी कि वह बस के सामने वाले शीशे (windshield) को तोड़ता हुआ आर-पार हो गया।
बस के चालक चुनी लाल ठाकुर ने इस घटना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वे बस को सामान्य गति से लेकर जा रहे थे। जैसे ही गाड़ी चैड़ा खड्ड के पास पहुंची, पहाड़ी से क्याल प्रजाति का एक बड़ा पेड़ अचानक नीचे आ गया। पेड़ सीधे चालक की तरफ वाले हिस्से और फ्रंट शीशे पर गिरा, जिससे शीशा पूरी तरह चकनाचूर हो गया। ऐसी स्थिति में अक्सर हड़बड़ाहट में बस से नियंत्रण खो जाने का डर रहता है, जिससे बस खाई में भी गिर सकती थी। लेकिन चालक चुनी लाल ठाकुर ने अद्भुत संयम और सूझबूझ का परिचय दिया। उन्होंने तुरंत बस को नियंत्रित किया और उसे सुरक्षित रूप से रोक लिया।
हादसे के वक्त बस में 40 से अधिक लोग सवार थे। अचानक हुए इस धमाके और शीशा टूटने की आवाज से बस के भीतर अफरा-तफरी का माहौल बन गया और यात्री दहशत में आ गए। बस की अगली सीट पर बैठे एक युवक को इस हादसे में चोटें आई हैं। पेड़ गिरने से शीशे के टुकड़े और पेड़ की टहनियों की वजह से वह घायल हो गया, हालांकि उसे आंशिक चोटें ही आई हैं। वहीं, बस चालक चुनी लाल ठाकुर, जो कि पेड़ गिरने वाली दिशा में ही बैठे थे, बाल-बाल बच गए।
इस घटना के बाद बस के अगले हिस्से को काफी नुकसान पहुंचा है और वह क्षतिग्रस्त हो गई है। स्थानीय लोगों और यात्रियों का कहना है कि यह चालक की सतर्कता ही थी जिसने आज 40 परिवारों को उजड़ने से बचा लिया। यदि बस की गति तेज होती या चालक घबरा जाता, तो परिणाम अत्यंत भयावह हो सकते थे। पहाड़ी रास्तों पर ऐसे हादसे अक्सर जानलेवा साबित होते हैं, लेकिन इस बार नियति ने यात्रियों का साथ दिया और सभी सुरक्षित बच गए।