नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान गरमागरम चुनावी बहस का केंद्र रहा स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) अब पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में एक बार फिर सियासी हलचल मचा रहा है। बिहार में चुनाव परिणाम आते ही अचानक शांत पड़ गया यह मुद्दा अब अगले साल होने वाले बंगाल विधानसभा चुनावों को देखते हुए फिर से तूल पकड़ रहा है। चुनाव आयोग ने देश के 11 राज्यों में, जिनमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है, इस प्रक्रिया को जोर-शोर से शुरू कर दिया है, जिसके कारण विपक्ष एक बार फिर मुखर हो गया है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने स्पेशल इंटेंसिव रिविजन को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट साझा करते हुए कहा है कि स्पेशल इंटेंसिव रिविजन के कारण पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल है। उन्होंने बताया कि मात्र तीन हफ्तों में 16 बूथ लेवल अधिकारी (BLO) की मौत हो चुकी है, जिसके पीछे हार्ट अटैक, आत्महत्या और तनाव जैसे कारण बताए जा रहे हैं। राहुल गांधी के अनुसार, इन सबके बावजूद स्पेशल इंटेंसिव रिविजन से कोई सुधार नहीं हो रहा है, बल्कि यह केवल एक अत्याचार है।
राहुल गांधी ने इस प्रक्रिया को एक सोची-समझी चाल करार दिया है, जिसका उद्देश्य आम लोगों को परेशान करना और बूथ लेवल अधिकारियों पर बेवजह दबाव बनाना है। उनके मुताबिक, यह कोई असफलता नहीं बल्कि एक गहरी साजिश है, जिसके जरिए सत्ता में बैठे लोगों को बचाने के लिए लोकतंत्र की बलि दी जा रही है।
गौरतलब है कि बिहार में भी स्पेशल इंटेंसिव रिविजन एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना था। विपक्ष ने इस प्रक्रिया को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से लेकर धरना प्रदर्शन तक शामिल थे। हालांकि, उनकी सभी कोशिशें नाकाम रहीं। उस वक्त चुनाव आयोग ने विपक्ष के विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि मतदाता सूची को समय-समय पर अपडेट करना एक सामान्य प्रक्रिया है और यह पहली बार नहीं हो रहा है।
चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों सहित कुल 11 राज्यों में स्पेशल इंटेंसिव रिविजन का आदेश दिया है। इन राज्यों में से कई म्यांमार और बांग्लादेश के साथ सीमा साझा करते हैं, जिसके चलते बड़ी संख्या में अवैध घुसपैठिए चोरी-छिपे भारत में प्रवेश करते हैं। ये घुसपैठिए अक्सर फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके देश की मतदाता सूची में शामिल हो जाते हैं। इन्हीं अवैध मतदाताओं की पहचान करने और उन्हें सूची से हटाने के लिए चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिविजन की प्रक्रिया शुरू की है।
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भी स्पेशल इंटेंसिव रिविजन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। TMC के प्रधान सचिव अभिषेक बनर्जी ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। इस बैठक के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मतुआ समुदाय के लोगों से बात करने का कार्यक्रम है। वह उन्हें स्पेशल इंटेंसिव रिविजन से जुड़ी पूरी जानकारी देंगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी वैध मतदाता इस प्रक्रिया के चलते मतदाता सूची से बाहर न हो जाए। यह कदम मतुआ समुदाय के बीच उत्पन्न आशंकाओं को दूर करने और उन्हें आश्वस्त करने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है।
स्पेशल इंटेंसिव रिविजन की यह प्रक्रिया एक बार फिर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू कर चुकी है। विपक्ष इसे उत्पीड़न और साजिश बता रहा है, जबकि चुनाव आयोग इसे मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए एक आवश्यक कदम मान रहा है। आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह मुद्दा आने वाले समय में और अधिक सियासी रंग ले सकता है।
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