चंडीगढ़: पंजाब सरकार ने राज्य के इतिहास में पहली बार आवारा पशुओं की दशकों पुरानी समस्या से निपटने के लिए एक समन्वित राज्य-स्तरीय कार्ययोजना शुरू की है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम” के संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान दिए गए आश्वासन को अब एक ठोस नीति में बदल दिया है, जिससे इस गंभीर मुद्दे का स्थायी समाधान निकलने की उम्मीद है।
स्थानीय सरकार विभाग के मंत्री डॉ. रवजोत सिंह ने विधानसभा में जानकारी देते हुए बताया कि यह पहली बार है जब पंजाब में इस समस्या के समाधान के लिए सभी विभाग और हितधारक मिलकर काम कर रहे हैं। स्थानीय सरकार विभाग इस बहु-एजेंसी प्रयास का नेतृत्व कर रहा है, जिसमें सभी संबंधित विभागों का समन्वय सुनिश्चित किया जा रहा है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि पहले यह समस्या विभिन्न विभागों के बीच समन्वय की कमी के कारण अक्सर अनसुलझी रहती थी।
पीड़ितों को त्वरित राहत: मुआवजा नीति लागू
सरकार ने आवारा पशुओं के हमलों से प्रभावित पीड़ितों को राहत प्रदान करने के लिए “पशु हमलों और दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिए पंजाब मुआवजा नीति, 2023” पहले ही लागू कर दी है। यह नीति आवारा पशुओं के हमले से प्रभावित परिवारों को तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान करती है। यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि पीड़ित परिवारों को आर्थिक कठिनाई का सामना न करना पड़े, जो कि पहले एक बड़ी चुनौती थी।
वर्तमान आवारा पशु आबादी का प्रबंधन: आश्रय स्थल और वित्तीय सहायता
वर्तमान आवारा पशु आबादी को प्रबंधित करने के लिए सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। अब तक 518 पंजीकृत गौशालाओं में 2 लाख से अधिक आवारा पशुओं को आश्रय दिया गया है। ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग ने 20 सरकारी पशु पाउंड में 77 पशु शेड का निर्माण किया है। इसके अतिरिक्त, शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) द्वारा 10 नए आश्रय स्थल स्थापित किए गए हैं, जो आवारा पशुओं के लिए सुरक्षित ठिकाने प्रदान करते हैं।
शहरी स्थानीय निकायों को पशुओं को पकड़ने और उनकी देखभाल के प्रयासों को मजबूत करने के लिए नियमित निर्देश जारी किए जा रहे हैं। गौशालाओं को काउ सेस फंड और ULB संसाधनों के माध्यम से वित्तीय सहायता दी जा रही है, यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई भी प्रयास अधूरा न रहे। यह व्यापक वित्तीय व्यवस्था दिखाती है कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और दीर्घकालिक समाधान के लिए प्रतिबद्ध है।
जिला स्तर पर मजबूत तंत्र और हेल्पलाइन
जिला स्तर पर भी एक मजबूत तंत्र स्थापित किया गया है। जिला अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि 31 मार्च तक आवारा पशुओं को गौशालाओं में भेजने का काम पूरा किया जाए। इसके अलावा, एक समर्पित हेल्पलाइन नंबर 9646-222-555 स्थापित किया गया है, जहां लोग आवारा पशुओं के हमले की शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यह हेल्पलाइन 24 घंटे सक्रिय रहती है और शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है, जिससे नागरिकों को तत्काल सहायता मिल सके।
डिप्टी कमिश्नर कार्यालय ने विभिन्न क्षेत्रों में गौशालाओं के साथ समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। जिला पुस्सल में लगभग 150 आवारा पशुओं को गौशालाओं में भेजने का लक्ष्य रखा गया है। डिप्टी कमिश्नर ने कलेक्टर रेट (CMO) के माध्यम से बजट आवंटन की व्यवस्था भी की है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि गौशालाओं को समय पर भुगतान मिले और वे सुचारू रूप से कार्य कर सकें।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने स्वयं इस मुद्दे की बारीकी से निगरानी की है और सभी जिला अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे इस अभियान को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करें। सरकार का उद्देश्य न केवल आवारा पशुओं को सड़कों से हटाना है, बल्कि उनकी उचित देखभाल और पुनर्वास भी सुनिश्चित करना है। यह मानवीय दृष्टिकोण और पशु कल्याण के सिद्धांतों के अनुरूप है, जो समाज के प्रति सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है।
अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल
यह पहल देश के अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल बन सकती है। पंजाब सरकार का यह समन्वित और बहु-विभागीय दृष्टिकोण दिखाता है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति, ठोस योजना और उचित बजट आवंटन के साथ किसी भी जटिल समस्या का समाधान संभव है। यह अभियान न केवल सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि पशु कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। यह एक ऐसा कदम है जिससे पंजाब के नागरिकों को राहत मिलेगी और सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आएगी।