Himachal: हाईकोर्ट ने टांडा मेडिकल कॉलेज में नर्सों की आउटसोर्स भर्ती पर लगाई रोक

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने टांडा मेडिकल कॉलेज में आउटसोर्स आधार पर नर्सों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने मैसर्स आरके कंपनी द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के पश्चात यह आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि जिन 60 नर्सों के नाम निजी ठेकेदार कंपनी द्वारा नियुक्ति के लिए अनुमोदित किए गए हैं, उन्हें अगले आदेश तक कार्य पर न रखा जाए. इसके साथ ही, कोर्ट ने 31 अक्टूबर को 80 नर्सों के पदों को आउटसोर्स आधार पर भरने को लेकर जारी विज्ञापन पर भी रोक लगाने के आदेश दिए हैं.

सरकार प्रदेश चला रही या पंचायत

कोर्ट ने पाया कि विज्ञापन का अवलोकन करने पर यह पता तक नहीं चलता है कि यह विज्ञापन किस कंपनी ने जारी किया है. कोर्ट ने सरकार द्वारा स्थायी पदों के विरुद्ध अस्थायी भर्तियां करने पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार के ऐसे कृत्यों से यह पता ही नहीं चल रहा है कि वे प्रदेश को चला रहे हैं या किसी पंचायत को. यह टिप्पणी सरकार की भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर करती है.

सरकार के एक हाथ को पता ही नहीं चल रहा कि दूसरा क्या कर रहा

कोर्ट ने कहा कि सरकार का कोई अधिकारी न्यायालयों में शपथपत्र दायर कर कहता है कि वह अब अस्थायी भर्तियां नहीं करेंगे, जबकि दूसरी ओर कोई अधिकारी अस्थायी भर्तियां करने की अनुमति दे देता है. कोर्ट ने टिप्पणी की कि सरकार में एक हाथ को यह पता ही नहीं चल पा रहा कि दूसरा हाथ क्या कर रहा है. हर जगह नियुक्तियों को लेकर सब कुछ गड़बड़ा गया है. यह स्थिति सरकारी विभागों के बीच समन्वय की कमी और अक्षमता को दर्शाती है, जिससे प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठते हैं.

प्रक्रिया पर उठाए गए थे सवाल

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में हिमाचल प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम लिमिटेड द्वारा दायर जवाब को देखने के बाद कहा था कि इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि नर्सों की भर्ती को लेकर शुरू की प्रक्रिया के संबंध में पारदर्शिता कैसे सुनिश्चित की गई. कोर्ट ने आवश्यक विवरण के साथ यह बताने को कहा था कि कितने ठेकेदारों ने उक्त कार्य के लिए निविदा के लिए बोलियां लगाईं, उनके प्रस्तावों का मूल्यांकन कैसे और किस स्तर पर किया गया, और उसके बाद सफल बोलीदाता को उक्त अनुबंध प्रदान करने के लिए क्या विचार किए गए. यह प्रश्न ठेका आवंटन प्रक्रिया में संभावित अनियमितताओं की ओर इशारा करते हैं.

कई ठेकेदारों का भर्ती से कोई लेना-देना ही नहीं

हाई कोर्ट ने एक अन्य मामले में पाया था कि आउटसोर्स भर्ती करने वाले ऐसे 36 ठेकेदारों के नाम हैं, जिन्हें हिमाचल प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम द्वारा अनुमोदित किया गया है. कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया में सूची देखने से पता चलता है कि उनमें से कई का भर्तियों से कोई लेना-देना नहीं है और उन्होंने कभी भी भर्ती का कोई मामला नहीं संभाला है. कोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे मामले भी हो सकते हैं जहां इन फर्मों के मालिक खुद पूरी तरह से अशिक्षित या अर्ध साक्षर हों, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उन्हें कानून अधिकारी, नर्स, डाक्टर आदि जैसे जिम्मेदार पदों पर आउटसोर्स आधार पर भर्ती करने का काम सौंपा गया हो. यह स्थिति आउटसोर्सिंग प्रक्रिया में घोर अनियमितताओं और अयोग्यता को दर्शाती है, जिससे सार्वजनिक सेवा की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

 

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