पटियाला। पंजाब में सरकार की लाख सख्ती के बावजूद पराली जलाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले 48 घंटों में राज्य में पराली जलाने के 573 नए मामले दर्ज किए गए हैं, जिससे वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक रूप से बढ़ गया है। पटियाला में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का स्तर सबसे अधिक 420 दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। सोमवार को राज्यभर में पराली जलाने के 133 मामले सामने आए, जबकि रविवार को यह आंकड़ा 440 था।
अब तक राज्य में पराली जलाने के कुल 4,195 मामले सामने आ चुके हैं। पिछले कुछ दिनों में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है। यह स्थिति तब है जब सरकार किसानों से पराली न जलाने की लगातार अपील कर रही है और इसके लिए वैकल्पिक समाधान भी पेश कर रही है।
सबसे अधिक पराली जलाने की घटनाएं मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में दर्ज की गई हैं। कुल 662 घटनाओं के साथ संगरूर इस सूची में पहले स्थान पर है। यह सिर्फ मुख्यमंत्री का ही नहीं, बल्कि आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमन अरोड़ा और वित्त मंत्री हरपाल चीमा का भी जिला है, जिससे सरकार पर इसे रोकने का दबाव बढ़ रहा है।
संगरूर के बाद, 619 मामलों के साथ तरनतारन दूसरे स्थान पर है, और 299 मामलों के साथ अमृतसर तीसरे स्थान पर है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं के साथ कई शहरों में एक्यूआई का स्तर ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच गया है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है।
सबसे खराब स्थिति पटियाला, जालंधर और खन्ना की रही, जहां अधिकतम एक्यूआई क्रमशः 422, 328 और 314 दर्ज किया गया। यह स्तर सांस संबंधी बीमारियों से ग्रस्त लोगों और बच्चों के लिए बेहद हानिकारक माना जाता है।
बेशक पराली जलाने के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन एक राहत की बात यह है कि पिछले वर्ष की तुलना में यह आंकड़ा 36 प्रतिशत कम है। पिछले साल इसी अवधि में पराली जलाने की घटनाएं कहीं अधिक थीं। हालांकि, मौजूदा स्थिति अभी भी गंभीर है और इसे नियंत्रित करने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार को किसानों के साथ मिलकर काम करना होगा और पराली प्रबंधन के लिए दीर्घकालिक समाधान खोजने होंगे, ताकि प्रदूषण के इस गंभीर मुद्दे से निपटा जा सके।
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