शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार और आईएएस एसोसिएशन के बीच नए तबादला आदेशों को लेकर खींचतान बढ़ गई है। एसोसिएशन ने सरकार को पत्र लिखकर उन नियुक्तियों पर आपत्ति जताई है, जिनमें सचिव स्तर के पदों पर आईएएस अधिकारियों के बजाय अन्य अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। एसोसिएशन ने इस कदम को आईएएस (कैडर) नियम, 1954 का उल्लंघन बताया है।
एसोसिएशन ने पत्र में लिखा है कि नियमों के अनुसार, किसी गैर-कैडर अधिकारी को सचिव जैसे पदों पर केवल अल्प अवधि और विशेष परिस्थितियों में ही तैनात किया जा सकता है। तीन महीने से अधिक की तैनाती के लिए केंद्र सरकार की अनुमति अनिवार्य होती है।
पत्र में यह भी प्रश्न उठाया गया है कि सरकार ने किन मानकों के आधार पर आईएएस अधिकारियों को इन पदों के लिए अनुपयुक्त माना। एसोसिएशन ने कहा कि न तो कोई पारदर्शी मूल्यांकन प्रणाली अपनाई गई और न ही अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई, जिससे असंतोष पैदा हुआ है।
एसोसिएशन ने कहा कि सचिवालय में आईएएस अधिकारी प्रदेश की नीतियों, योजनाओं और प्रशासनिक ढांचे का संचालन करते हैं, जबकि पुलिस या वन सेवा के अधिकारी अपने-अपने विभागीय दायरे में काम करते हैं। ऐसे में सचिव पदों पर अन्य सेवाओं की तैनाती प्रशासनिक संतुलन और परंपरा दोनों के विरुद्ध है।
एसोसिएशन ने चेतावनी दी कि यदि इस तरह के आदेश जारी रहे तो इससे सेवाओं के बीच असंतुलन और असंतोष बढ़ सकता है। पत्र में लिखा है कि सचिव पद आईएएस अधिकारियों के करियर प्रोफाइल और पदोन्नति श्रृंखला का अहम हिस्सा हैं। इन्हें अन्य सेवाओं को देने से न केवल आईएएस अधिकारियों का मनोबल गिरेगा, बल्कि कैडर प्रबंधन पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।
एसोसिएशन ने सरकार से आग्रह किया है कि इस निर्णय पर पुनर्विचार किया जाए। साथ ही यह सुझाव भी दिया कि यदि नियुक्तियां प्रदर्शन के आधार पर की जा रही हैं, तो इसके लिए स्पष्ट और लिखित मानदंड तय किए जाएं, ताकि भ्रम या विवाद न रहे। हालांकि सरकार इस पूरे मामले की समीक्षा कर रही है, लेकिन इतना तय है कि सचिवालय की यह तकरार आने वाले दिनों में हिमाचल की नौकरशाही के भीतर खासी हलचल मचाने वाली है।
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